शायद भारत ही एक ऐसा देश होगा जिस में भारत की प्रथम नागरिक से लेकर लाइन में सबसे पीछे खड़े आम नागरिक तक सब असंतुष्ट हैं. प्रथम नागरिक ने तो अपना असन्तोष प्रकट कर दिया अपने भाषण में जो उन्होंने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर दिया. प्रधान मंत्री ने लाल किले की प्राचीर से अपना असंतोष प्रकट किया. यह लोग दूसरों से कहते हैं कि वह इनका असंतोष दूर करने के लिए काम करें. यह ख़ुद कुछ नहीं करते. यह इतना भी भी नहीं सोचते कि कुछ लोग इन के कामों से असंतुष्ट हो सकते हैं.
अभी पिछले कुछ दिनों में कुछ और लोगों ने भी असंतोष प्रकट करने की परम्परा निभाई. भारत सरकार में रेल मंत्री लालू प्रसाद ने सिमी पर भारत सरकार द्बारा पाबंदी लगाने पर असंतोष प्रकट किया. अब ऐसा कहते हुए इन्होनें यह भी नहीं सोचा कि यह ख़ुद भी इस पाबंदी के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि यह उसी सरकार में मंत्री हैं. अगर पाबंदी ग़लत है तो यह सरकार में क्या कर रहे हैं? शराफत तो यह होती कि यह सरकार से इस्तीफा देते और सिमी में शामिल हो जाते. पर यह तो राजनीतिबाज हैं और राजनीति का शराफत से क्या लेना देना? इन की देखा देखी राम विलास पासवान और मुलायम सिंह ने भी सिमी की पाबंदी पर असंतोष प्रकट कर दिया. सिमी मुसलमानों का संगठन है और यह मुसलमानों के हमदर्द होने का नाटक करते हैं, इस लिए देश को एक तरफ़ करके इन्हें आतंकवाद का साथ देना जरूरी हो गया. इनकी इस हरकत से बहुत से आम नागरिक असंतुष्ट हैं, पर मीडिया उन के असंतोष को नहीं छापेगा.
शबाना आजमी एक अच्छी कलाकार हैं. उनके पति एक अच्छे शायर हैं. भारत के नागरिक उनकी बहुत इज्जत करते हैं, या यह कहिये कि उन्हें सर आंखों पर विठाते हैं. अभी पता लगा कि शबाना जी भी असंतुष्ट हैं और वह भी भारतीय प्रजातंत्र से. इन्हें असंतोष है कि भारतीय प्रजातंत्र मुसलमानों के ख़िलाफ़ है. मुंबई में एक मकान न मिलने पर यह इतनी असंतुष्ट हो गईं कि भारतीय प्रजातंत्र पर ही तोहमत लगा दी. एक असंतुष्ट अजहरुद्दीन थे जिन्होनें यह तोहमत दी थी कि उन्हें मुसलमान होने के कारण मेच फिक्सिंग में फंसाया गया.
अगर व्यक्तिगत असंतुष्टि कि बात की जाय तो लिस्ट बहुत लम्बी है. करात मनमोहन सिंह से असंतुष्ट हैं और सोमनाथ करात से. मायावती केन्द्र सरकार से असंतुष्ट हैं. मुलायम मायावती से असंतुष्ट है. आम नागरिक इन सबसे असंतुष्ट है. दिल्ली वाले शीला दीक्षित से असंतुष्ट हैं. कश्मीरी भारत से असंतुष्ट हैं. भारतीय नागरिक कश्मीरियों के अलगाववादी नेताओं से असंतुष्ट हैं. जम्मू वाले सरकार की मुस्लिमपरस्त नीतिओं से असंतुष्ट हैं. राज ठाकरे यूपी और बिहार वालों से असंतुष्ट हैं. मतलब यह कि असंतुष्ट होना तो एक तरह से राष्ट्रिय कर्तव्य हो गया है. सब अपना राष्ट्रिय कर्तव्य निभा रहे हैं.
में उन ब्लागर्स से असंतुष्ट हूँ जो मेरे ब्लाग पर तो आते हैं पर कमेन्ट पोस्ट नहीं करते. में चोखेरवालिओं की हर समय पुरुषों को कोसने की आदत से असंतुष्ट हूँ तो चोखेरवालियां इस बात पर मुझसे असंतुष्ट हैं कि में उन की हाँ में हाँ नहीं मिलाता. मेरे अपार्टमेंट्स के कुछ लोग इस बात पर मुझसे असंतुष्ट हैं कि में उनके द्वारा फैंके गए कचरे की फोटो खींच कर अपने ब्लाग पर पोस्ट कर देता हूँ. मन्दिर के पुजारी इस बात पर असंतुष्ट हैं कि मन्दिर प्रशासन उन्हें मोबाइल खरीद कर नहीं देता. अगर भारत के नागरिकों कि असंतुष्टि के बारे में विस्तार से लिखा जाय तो कई महाकाव्य बन सकते हैं. फिलहाल तो यह पोस्ट यहीं समाप्त करता हूँ.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Thursday, 21 August 2008
इस देश में सब असंतुष्ट हैं
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delhi of prime minister,
lalu,
mulayam,
no body is satisfied,
paaswan,
president,
raj thakre
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4 comments:
ये तो सही कहा कि यदि इस पर लिखा जाए तो पोथी लिखी जा सकती है। और आपने मनमोहन से लेकर अपने और फिर हमारे तक कि जो बात की है वो अटल सत्य है और सब असंतुष्ट है। मैं आपसे आप आते ही नहीं मेरे ब्लॉग पर। पसंद तो दूर टिपियाते भी नहीं।
जी हाँ सब असंतुष्ट है....ओर बाकियों की चिंता छोडिये आपमें इतनी कुव्वत है की जो आप सोचते है वो लिखते तो है ....लोग तो ऐसा भी नही करते ..
wah sir ji, kya likha hai
सब असंतुष्ट हैं
बहुत खूब कही आपने भी. हम सब असंतुष्ट हैं और इसी असंतोष में हमें सबसे ज़्यादा सुख मिलता है क्योंकि यह मुफ्त है और इसका दोष हमेशा दूसरों को दिया जा सकता है.
धन्यवाद!
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