मैं बच्चा था एक वर्ष का,
जब पन्द्रह अगस्त आया था,
आधी रात सूरज निकला था,
मां ने मुझको बतलाया था,
आजादी के रंग में रंग कर,
नया तिरंगा फहराया था,
सुंदर सुंदर वस्त्र पहन कर,
हम सब विद्यालय जाते थे,
झंडा फहरा, राष्ट्र गान गा,
सब मिल कर लड्डू खाते थे,
अब सोते हैं, सुबह देर तक,
छुट्टी का आनंद लूटते,
लाल किले की प्राचीरों पर,
कुछ न कुछ हर साल भूलते.
आओ सोचें,
इतने वर्ष बिता कर हमने,
क्या खोया है क्या पाया है?
राष्ट्र मंच पर कहाँ खड़ें हैं,
नायक हैं या खलनायक हैं,
हैं सुपुत्र भारत माता के,
या उस के दुःख का कारण हैं?
आज़ादी की वर्षगाँठ पर,
न कोई उत्सव, न कोई मेला,
कुछ तो समय निकालो साथी,
मां का मन्दिर पड़ा अकेला,
भारत माता के चरणों में,
आओ चलो नमन कर आयें,
मरे नहीं कुछ प्राण शेष हैं,
आओ माता को बतलाएं,
पुत्रों का कर्तव्य निभा कर,
मां का वरद हस्त पा जायें,
फ़िर से बनें राष्ट्र का गौरव,
ऐसा कोई काम कर जाएँ.
लाल किले से राजनीति का भाषण देकर,
नेता तो कर्तव्य निभाते,
पर हम आम आदमी को तो,
इस प्यारे पन्द्रह अगस्त पर,
कितने नए वचन भरने हैं,
नया राष्ट्र निर्माण करंगे,
ऐसे कई काम करने हैं.
कर्मचारी हों या व्यापारी,
चाहे सैनिक या किसान हों,
शत, सहस्त्र, शत, शत वर्षों तक,
ऊंची राष्ट्र की आन बान हो.
बोलो जय भारत माता की,
बोलो बार बार जय हिंद.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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4 comments:
जय हिंद!!जय हिंद!!जय हिंद!!
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
आजाद है भारत,
आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
पर आजाद नहीं
जन भारत के,
फिर से छेड़ें, संग्राम एक
जन-जन की आजादी लाएँ।
बहुत सुंदर , बहुत अच्छी कविता।
भारत माता की जय।
मैं बच्चा था एक वर्ष का,
जब पन्द्रह अगस्त आया था,
आधी रात सूरज निकला था,
मां ने मुझको बतलाया था,
अदभुत, सुंदर...अति उत्तम।।।।
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