नेताजी की पत्नी ने कहा, "आपका बेटा बिगड़ रहा है. अजीब बातें करता है. कहता है इस देश में सारी समस्याएं नेताओं के कारण हैं, और यदि नेताओं को ख़त्म कर दिया जाए तो समस्याएं ख़त्म हो जायेंगी. यह भी कहता है, पिताजी की भ्रष्टाचार की कमाई को हाथ भी नहीं लगाऊँगा"।
"यह तो चिंता की बात है", नेताजी ने कहा, "लगता है हिरणयकश्यपू के घर में प्रहलाद पैदा हो गया है".
"अरे तो कुछ करो न", पत्नी ने चिंता भरे स्वर में कहा, "क्यों नहीं उसे राजनीति की शिक्षा देते?.
नेताजी ने सर हिलाया, बेटे को बुलाया और पहला पाठ शुरू हुआ.
उन्होंने पूछा, "प्रजातंत्र क्या है".
जवाब मिला, "जनता में भेद करने का तंत्र".
"में समझा नहीं", उन्होंने कहा.
जवाब मिला, "आप समझेंगे भी नहीं. क्योंकि भेद तो आप ही करते हैं".
"तो समझाओ न", उन्होंने कहा गुस्से से.
जवाब मिला, "तो गिनिए".
आम आदमी, वीआईपी, वीवीआईपी
हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध (भारतीय कोई नहीं)
बहुसंख्यक, अल्पसंख्यक
एससी, एसटी, ओबीसी, ओबीसी में ओबीसी, सूखी लेयर, क्रीमी लेयर
सेकुलर, कम्युनल
आम आदमी का बेटा, नेताजी का बेटा.
"बस बकबास बंद करो", नेताजी चिल्लाए, "इसे बंद करो वरना यह मुझे बाहर कर देगा".
घर का नौकर (एक आम आदमी) यह सब देख रहा था. उसनें मन ही मन भगवान से प्रार्थना की, "ऐसे बेटे सब नेताओं को दो भगवान्".
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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6 comments:
बिल्कुल ठीक कहा आपने.. लेकिन ऐसे बेटे सिर्फ़ नेताओ को ही नही हर इंसान को दे..
बहुत खूब.
करारा कटाक्ष.
कुश जी, आपने बिल्कुल सही कहा. भगवान सबको ऐसे बेटे दे, इस की और इंगित किया है मैंने अपने पोस्ट - "भ्रष्टाचार समाप्त करने के सरल उपाय" में.
"ऐसे बेटे सब नेताओं को दो भगवान्" Amen
भगवान सुनेगा क्या? भगवान के लिए भगवान सुन ले तो अच्छा है.
सुन्दर व्यंग्य.
बहुत बढ़िया. काश!!!
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