हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Sunday, 31 August 2008
हास्य-व्यंग
आज के तनाव पूर्ण समाज में हास्य-व्यंग का एक महत्वपूर्ण स्थान है। हँसी कुछ देर के लिए तनाव कम कर देती है। इसलिए मैंने हास्य-व्यंग पर एक नया ब्लाग शुरू किया है। हंसने के लिए इस ब्लाग पर आइये। क्लिक करें:
हास्य-व्यंग
Saturday, 30 August 2008
साठ साल पहले की गलती आज भी भुगत रहे हें
देश के कर्णधार कहे जाने वाले, जिनका परिवार आज देश का राजा बना हुआ है, ऐसे पंडित नेहरू यह आग लगा कर देश को उसमे जलने के लिए छोड़ गए हें। कितने निर्दोष नागरिक और सुरक्षाकर्मी बलि चढ़ चुके हें इस भूल पर, और न जाने कितने बलि चढ़ेंगे।
Wednesday, 27 August 2008
चलो पदक विजेताओं के साथ फोटो खिंचवायें
मनोचिकित्सक ने कहा, 'हम एक टब को पानी से भर देते हैं. मरीज को एक चम्मच, एक मग और एक बाल्टी दे देते हैं और कहते हैं कि वह इनमें से कोई एक चुन ले और टब से सारा पानी बाहर निकाल दे'.
'यह तो बहुत आसान है', वह व्यक्ति बोला, 'जाहिर है एक सामान्य इंसान बाल्टी चुनेगा, क्योंकि बाल्टी से पानी जल्दी निकाला जा सकता है'.
'नहीं' मनोचिकित्सक ने कहा, 'एक सामान्य इंसान टब से पानी बाहर जाने का प्लग निकाल देगा'.
पति ने कहा, 'अजी सुनती हो, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सोनिया गाँधी ने ओलम्पिक में कांस्य पदक विजेताओं के साथ फोटो खिंचवाए.
पत्नी - अब इतना तो कर ही सकते हैं. उनकी विजय में तो इनका कोई हाथ है नहीं.
पति - हाँ यह तो सही है. भारत शायद ऐसा अकेला देश होगा जिसमें पदक जीतने में सरकार और सम्बंधित संस्थाओं का कोई हाथ न हो. तीनों पदक विजेता अपनी छमता पर पदक जीत लाये. अब सब इस का क्रेडिट लेने पर लगे हैं.
पति - वोह कहते हैं 'भारत में इस्लाम खतरे में है', और उसे बचाने के लिए बम विस्फोट करके कितने ही निर्दोष लोगों की जान ले लेते हैं.
पत्नी - इसे कहते हैं, उल्टा चोर कोतवाल को डाटे .
पति - तुम ठीक कहती हो. अब तो इस्लाम ही भारत के लिए खतरा बनता जा रहा है.
पति - अडवाणी के पत्र का जवाब दिया है मनमोहन ने.
पत्नी - अच्छा. यह तो यकीनन कमाल हो गया. अडवाणी का तो नाम ही सुनकर मनमोहन का मुहं कड़वा हो जाता है. पर मसला क्या था?
पति - वही जम्मू और कश्मीर का.
पत्नी - अरे यह तो और कमाल हो गया. मनमोहन को तो सपने में भी बस परमाणु करार ही नजर आता है. दूसरी कोई समस्या ही नहीं है उनके लिए. बैसे उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया अडवानी ने. बेचारे मनमोहन को हिन्दुओं के पक्ष में भी कुछ कहना पड़ा होगा.
पति - तुम सही कहती हो. 'मुसलमानों का इस देश की हर चीज़ पर पहला अधिकार है' कहने के बाद हिन्दुओं के लिए तो कुछ बचा ही नहीं. थोड़ी सी जमीन भी नहीं मिल सकती हिंदू यात्रियों की सुविधा के लिए इस देश में.
Tuesday, 26 August 2008
मनमोहन जी के विडियो गेम
पत्नी - चलो अच्छा हुआ, असल जिंदगी में तो वह कुछ कर नहीं पाये.
पति - उमा भारती ने कहा है कि वीजेपी ने उन्हें मारने का षड़यंत्र किया है.
पति - यह वीजेपी है ही ऐसी. कुछ समय पहले इस ने मनमोहन को मारने के लिए हवन करवाया था.
पति -शबाना आजमी ने कहा है कि भारतीय प्रजातंत्र भारतीय मुसलमानों के ख़िलाफ़ है.
पत्नी - एक मकान दे दो उसे, तारीफ़ करने लगेगी.
पति - अदालत ने कहा हुसैन ने मां दुर्गा की नंगी तस्वीर बना कर कुछ ग़लत नहीं किया.
पत्नी - अच्छा होता हुसैन जज की मां की नंगी तस्वीर बनाता.
पति - अरुंधती ने कहा है कि कश्मीर पाकिस्तान को दे देना चाहिए.
पत्नी - मैं कहती हूँ अरुंधती को ही पाकिस्तान को दे देना चाहिए.
पति - शीला दीक्षित न कहा है, दिवाली तक दिल्ली की सड़कें ठीक हो जानी चाहियें.
पत्नी - ठीक ही तो है, गिफ्ट लाने वालों की सुविधा का ख्याल तो करना होगा.
पति - ख़बर है कि नई वोटर लिस्ट में शीला दीक्षित की तस्वीर में कुछ गड़बड़ हो गई है.
पत्नी - होना तो यह चाहिए कि हर वोटर के नाम के सामने शीला जी की फोटो होनी चाहिए. आखिरकार वह दिल्ली के सब नागरिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं.
पति - ख़बर है कि औसतन हर दिन दिल्ली में तीन महिलाओं की चैन खींची जाती हैं.
पत्नी - इतना बड़ा शहर और सिर्फ़ तीन घटनाएं. लोग जबरदस्ती दिल्ली पुलिस को निकम्मा कहते हैं.
Sunday, 24 August 2008
कैसे बना चीन नंबर एक ओलंपिक्स में?
१०८ साल में एक भारतीय ने व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता और वह भी अपने बलबूते पर। उसे ईनाम बाँट कर सारे प्रदेश सरकारें इस जीत को ख़ुद में बाँट रही हें. ख़ुद कुछ नहीं करेंगे पर अगर कोई अपने बलबूते पर जीत गया तो उसे हार पहनाकर अपनी मौजूदगी दर्ज करा देंगे। ऐसी शर्मनाक स्थिति में भारत, एक राष्ट्र के रूप में, कभी कुछ नहीं कर पायेगा खेलों में।
Saturday, 23 August 2008
अतिथि देवता होता है
पत्नी - शर्म आनी चाहिए इन वकीलों को. कितने बेचारे लोगों की तारीखें होगी मुकदमों की. भारत में न्याय ग़लत लोगों के हाथ में बंदी हो गया है. पर बात क्या थी?
पति - दिल्ली के दो वरिष्ट वकीलों ने एक मुकदमें के मुख्य गवाह को पैसे देकर तोड़ने की कोशिश की. एक वचाव पक्ष का वकील था और दूसरा सरकारी वकील, और दोनों माने-जाने वकील. अदालत ने इसे अदालत की अवमानना माना और इन वकीलों को सजा दे दी. इस पर वकीलों ने हड़ताल कर दी.
पत्नी - ग़लत किया अदालत ने. जैसे लोक सभा में एमपी रिश्वत ले सकता है बैसे ही वकील को भी अदालत में कुछ भी ग़लत कर सकने की आजादी होनी चाहिए. आख़िर सरकार ने जजों द्बारा भ्रष्टाचार पर कानून बनाने से तो मना कर ही दिया है. सरकारी बाबू के रिटायर होने के बाद भी उस पर भ्रष्टाचार का मुकदमा न चल पाये इस का बंदोबस्त भी सरकार ने कर दिया है. बेचारे वकीलों ने क्या जुर्म किया है कि वह गवाहों को भी नहीं तोड़ सकते.
पति - बात तो तुम ठीक कहती हो. भारत में प्रजा का तंत्र है इस लिए सजा भी प्रजा को ही मिलनी चाहिए. सरकारी नेता और बाबू, जज, वकील, पुलिस, नेताओं के घर वाले, यह सब तो प्रजातंत्र के अतिथि हैं और अतिथि देवता होता है.
Thursday, 21 August 2008
इस देश में सब असंतुष्ट हैं
अभी पिछले कुछ दिनों में कुछ और लोगों ने भी असंतोष प्रकट करने की परम्परा निभाई. भारत सरकार में रेल मंत्री लालू प्रसाद ने सिमी पर भारत सरकार द्बारा पाबंदी लगाने पर असंतोष प्रकट किया. अब ऐसा कहते हुए इन्होनें यह भी नहीं सोचा कि यह ख़ुद भी इस पाबंदी के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि यह उसी सरकार में मंत्री हैं. अगर पाबंदी ग़लत है तो यह सरकार में क्या कर रहे हैं? शराफत तो यह होती कि यह सरकार से इस्तीफा देते और सिमी में शामिल हो जाते. पर यह तो राजनीतिबाज हैं और राजनीति का शराफत से क्या लेना देना? इन की देखा देखी राम विलास पासवान और मुलायम सिंह ने भी सिमी की पाबंदी पर असंतोष प्रकट कर दिया. सिमी मुसलमानों का संगठन है और यह मुसलमानों के हमदर्द होने का नाटक करते हैं, इस लिए देश को एक तरफ़ करके इन्हें आतंकवाद का साथ देना जरूरी हो गया. इनकी इस हरकत से बहुत से आम नागरिक असंतुष्ट हैं, पर मीडिया उन के असंतोष को नहीं छापेगा.
शबाना आजमी एक अच्छी कलाकार हैं. उनके पति एक अच्छे शायर हैं. भारत के नागरिक उनकी बहुत इज्जत करते हैं, या यह कहिये कि उन्हें सर आंखों पर विठाते हैं. अभी पता लगा कि शबाना जी भी असंतुष्ट हैं और वह भी भारतीय प्रजातंत्र से. इन्हें असंतोष है कि भारतीय प्रजातंत्र मुसलमानों के ख़िलाफ़ है. मुंबई में एक मकान न मिलने पर यह इतनी असंतुष्ट हो गईं कि भारतीय प्रजातंत्र पर ही तोहमत लगा दी. एक असंतुष्ट अजहरुद्दीन थे जिन्होनें यह तोहमत दी थी कि उन्हें मुसलमान होने के कारण मेच फिक्सिंग में फंसाया गया.
अगर व्यक्तिगत असंतुष्टि कि बात की जाय तो लिस्ट बहुत लम्बी है. करात मनमोहन सिंह से असंतुष्ट हैं और सोमनाथ करात से. मायावती केन्द्र सरकार से असंतुष्ट हैं. मुलायम मायावती से असंतुष्ट है. आम नागरिक इन सबसे असंतुष्ट है. दिल्ली वाले शीला दीक्षित से असंतुष्ट हैं. कश्मीरी भारत से असंतुष्ट हैं. भारतीय नागरिक कश्मीरियों के अलगाववादी नेताओं से असंतुष्ट हैं. जम्मू वाले सरकार की मुस्लिमपरस्त नीतिओं से असंतुष्ट हैं. राज ठाकरे यूपी और बिहार वालों से असंतुष्ट हैं. मतलब यह कि असंतुष्ट होना तो एक तरह से राष्ट्रिय कर्तव्य हो गया है. सब अपना राष्ट्रिय कर्तव्य निभा रहे हैं.
में उन ब्लागर्स से असंतुष्ट हूँ जो मेरे ब्लाग पर तो आते हैं पर कमेन्ट पोस्ट नहीं करते. में चोखेरवालिओं की हर समय पुरुषों को कोसने की आदत से असंतुष्ट हूँ तो चोखेरवालियां इस बात पर मुझसे असंतुष्ट हैं कि में उन की हाँ में हाँ नहीं मिलाता. मेरे अपार्टमेंट्स के कुछ लोग इस बात पर मुझसे असंतुष्ट हैं कि में उनके द्वारा फैंके गए कचरे की फोटो खींच कर अपने ब्लाग पर पोस्ट कर देता हूँ. मन्दिर के पुजारी इस बात पर असंतुष्ट हैं कि मन्दिर प्रशासन उन्हें मोबाइल खरीद कर नहीं देता. अगर भारत के नागरिकों कि असंतुष्टि के बारे में विस्तार से लिखा जाय तो कई महाकाव्य बन सकते हैं. फिलहाल तो यह पोस्ट यहीं समाप्त करता हूँ.
Monday, 18 August 2008
मौसम गीला,मन भी गीला
पुराना बक्सा साफ़ करने बैठ गया,
बहुत सी यादें ताजा हो गईं,
कुछ खट्टी, कुछ मीठी, कुछ कड़वी,
फ़िर मिला एक बण्डल,
गोल लपेटे बेंड से बंधे प्रेम पत्रों का,
मौसम गीला था, मन भी गीला हो गया।
रात-रात जाग कर लिखे थे यह प्रेम पत्र,
पर दे नहीं पाया था तुम्हें,
जब उड़ा देती थी तुम दूसरे प्रेम पत्र,
टुकड़े -टुकड़े कर हवा में,
डर जाता था में,
क्या मेरे प्रेम पत्र का भी यही अंजाम होगा?
फ़िर पहुँच जाता वह नया प्रेम पत्र भी बक्से में कपड़ें के नीचे।
कालिज की पढ़ाई पूरी हुई,
सब साथी चले गए इधर-उधर,
धीरे-धीरे खबरें आना भी बंद हो गई,
माँ बाबा कहते रहे,
कहते-कहते चले भी गए,
प्रेम किसी से, शादी किसी से,
तैयार नहीं कर पाया था ख़ुद को,
सुना था तुम ने भी शादी नहीं की,
शायद किसी विशेष प्रेम पत्र की प्रतीक्षा में।
आज पुराने प्रेम पत्रों का बण्डल हाथ में लेते,
एक ख्याल आया मन में,
तन काँप गया, मन भीग गया,
कलेजा मुंह को आया,
इस बण्डल में तो नहीं है,
वह विशेष प्रेम पत्र!
Saturday, 16 August 2008
जीवन का कोरा पन्ना
किसका नाम तुम्हें लिखना था?
मन का मीत, प्रीत का संगी,
यह सम्मान किसे मिलना था?
वूझ-वूझ कर हार गया मैं,
नहीं पहेली सुलझा पाया,
इतना ही अनुमान हुआ बस,
मेरा प्रेम तुम्हें न भाया,
अमर, असीमित मेरे प्रेम को,
तुमने बार-बार ठुकराया,
अन्जाये सायों के पीछे,
इतना जीवन व्यर्थ गवांया।
जीवन का यह कोरा पन्ना,
अब मटमैला सा दिखता है,
में भी हारा, तुम भी हारी,
अजब हमारा यह रिश्ता है,
जीवन की संध्या समीप है,
आओ अपनी भूल सुधारें,
प्रेम बाँट कर प्रेम समेटें,
एक दूजे पर तन मन बारें।
जीवन के कोरे पन्ने पर,
हमने सही नाम लिखना है,
मन के मीत, प्रीत के संगी,
यह सम्मान हमें मिलना है,
अब तक जो खोया है हमने,
वह सब पाने की उमंग है,
जीवन के कोरे पन्ने को,
रंगने का रंग प्रेम-रंग है।
Friday, 15 August 2008
बोलो जय भारत माता की, बोलो बार बार जय हिंद
जब पन्द्रह अगस्त आया था,
आधी रात सूरज निकला था,
मां ने मुझको बतलाया था,
आजादी के रंग में रंग कर,
नया तिरंगा फहराया था,
सुंदर सुंदर वस्त्र पहन कर,
हम सब विद्यालय जाते थे,
झंडा फहरा, राष्ट्र गान गा,
सब मिल कर लड्डू खाते थे,
अब सोते हैं, सुबह देर तक,
छुट्टी का आनंद लूटते,
लाल किले की प्राचीरों पर,
कुछ न कुछ हर साल भूलते.
आओ सोचें,
इतने वर्ष बिता कर हमने,
क्या खोया है क्या पाया है?
राष्ट्र मंच पर कहाँ खड़ें हैं,
नायक हैं या खलनायक हैं,
हैं सुपुत्र भारत माता के,
या उस के दुःख का कारण हैं?
आज़ादी की वर्षगाँठ पर,
न कोई उत्सव, न कोई मेला,
कुछ तो समय निकालो साथी,
मां का मन्दिर पड़ा अकेला,
भारत माता के चरणों में,
आओ चलो नमन कर आयें,
मरे नहीं कुछ प्राण शेष हैं,
आओ माता को बतलाएं,
पुत्रों का कर्तव्य निभा कर,
मां का वरद हस्त पा जायें,
फ़िर से बनें राष्ट्र का गौरव,
ऐसा कोई काम कर जाएँ.
लाल किले से राजनीति का भाषण देकर,
नेता तो कर्तव्य निभाते,
पर हम आम आदमी को तो,
इस प्यारे पन्द्रह अगस्त पर,
कितने नए वचन भरने हैं,
नया राष्ट्र निर्माण करंगे,
ऐसे कई काम करने हैं.
कर्मचारी हों या व्यापारी,
चाहे सैनिक या किसान हों,
शत, सहस्त्र, शत, शत वर्षों तक,
ऊंची राष्ट्र की आन बान हो.
बोलो जय भारत माता की,
बोलो बार बार जय हिंद.
Thursday, 14 August 2008
आम आदमी की सरकार का एक चहरा यह भी है
ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने पर महाराष्ट्र सरकार ने बिंद्रा को दस लाख रुपए ईनाम देने का ऐलान किया। एक अखबार ने लिखा एक पहलवान के बारे में जिस ने भारत के लिए पहला पदक जीता था, हेलसिंकी ओलम्पिक में पहलवानी प्रतियोगिता में, कांस्य पदक। यह पहलवान जाधव महाराष्ट्र का था और बहुत गरीबी में इस ने जिंदगी गुजारी। हेलसिंकी जाने के लिए उस ने जो उधार लिया था उसे चुकाने में सारी जिंदगी लगा रहा और एक बेनाम मौत मर गया।
दिल्ली के तैमूर नगर में गैरकानूनी तौर पर रह रहे बांग्लादेशियों ने दिल्ली पुलिस की जम कर पिटाई की। पुलिस बेचारी स्व-रक्षा में भी गोली नहीं चला सकी। आखिरकार मामला मुस्लिम वोटों का है।
Sunday, 10 August 2008
ब्लागर भाइयों और बहनों
अगर आप उस का मजा लेना चाहते हें तो इस पर क्लिक करिए:
होटलों में मजाकिया नोटिस
होटलों में लगे मजाकिया नोटिस
In the Hotel Bedroom:
1) Is forbidden to steal hotel towels please. If you are not person to do such thing please not to read notice.
2) Please to bathe inside the tub.
3) Please leave your values at the front desk.
4) You are invited to take advantage of the chambermaid.
5) Because of the impropriety of entertaining guests of the opposite sex in the bedroom, it is suggested that the lobby be used for this purpose.
In the Hotel Bar:
1) Special cocktails: For the ladies with nuts.
2) Ladies are requested not to have children in the bar.
3) Our wines leave you nothing to hope for.
4) Special today - no ice cream.
In the Hotel Shop:
1) For your convenience, we recommend courteous, efficient self-service.
2) If this is your first visit to Tokyo, you are welcome to it.
3) Order your summer suit. Because is big rush we will execute customers in strict rotation.
4) Specialist in women and other diseases
5) Teeth extracted by the latest Methodists.
From will & Guy
Friday, 8 August 2008
०८/०८/०८
देखिये क्या होता है आज?
Thursday, 7 August 2008
सिमी पर पाबंदी और सरकार
इस शक को इस बात से भी बल मिलता है कि सरकार की एक साझी पार्टी के नेता और सरकार में मंत्री लालू प्रसाद इस मसले पर वोट की घटिया राजनीति करने से नहीं चूके. उन्होंने इस मसले में आरएसएस, शिव सेना को घसीटने की कोशिश की है, और यह भी कहा है की वह सिमी पर पाबंदी के हक में नहीं हैं. अगर उन्हें सरकार के इस फैसले से ऐतराज है तो उन्हें सरकार से हट जाना चाहिये, पर ऐसा वह नहीं करेंगे क्योंकि उनका स्वार्थ सिर्फ़ ख़ुद को मुसलमानों का हमदर्द दिखाना भर है.
Monday, 4 August 2008
क्या सरकार आतंकवादियों के साथ है?
आतंकवादियों के हमलों से भारत का कानून भारतवासियों को कितनी सुरक्षा देता है, काफ़ी समय से इस पर सवाल उठ रहे हैं. हत्या करने के ख़िलाफ़ कानून है, हत्या की जांच करने के लिए पुलिस भी है, अगर कोई आतंकवादी हत्यारा पकड़ा गया तो उस पर मुकदमा चलाने के लिए अदालतें हैं, सरकारी वकील है. पर क्या इन हत्यारों को सजा मिल पाती है? आज तक यह हत्यारे हजारों भारतवासियों की हत्या कर चुके हैं पर किसी हत्यारे को सजा नहीं दी सकी. सजा देने के इस लंबे रास्ते में किसी न किसी सीढ़ी पर इन हत्यारों को सुरक्षा मिल जाती है. कभी पुलिस, कभी वकील, कभी अदालत, कभी सरकार. यह लोग और संस्थायें जनता को तो कोई सुरक्षा नहीं दे पाते पर जनता के हत्यारों को सुरक्षा देने में नहीं हिचकिचाते. अदालत ने अफज़ल को सजा भी दे दी पर भारत सरकार ने इस आतंकवादी हत्यारे को अपनी सुरक्षा प्रदान कर दी. अब वह मजे से सरकारी मेहमान बना हुआ है और जिस जनता की उसने हत्या की थी उस जनता के पैसे पर ऐयाशी कर रहा है.
एक आतंकवादी हत्यारे पर एक आम हत्यारे की तरह मुकदमा चलाया जाता है. पहले निचले कोर्ट में, फ़िर हाई कोर्ट में, फ़िर सुप्रीम कोर्ट में, फ़िर कोर्ट की बेंचों में, फ़िर मर्सी पेटिशन. बहुत लंबा रास्ता है. सारी जिंदगी यह हत्यारा आराम से मेहमान जेलों या जमानत पर गुजार सकता है. कहीं न कहीं इसे मुक़दमे से बाहर निकलने का रास्ता भी मिल जाता है. इस के मुकाबले भारतवासियों को कोई वक्त नहीं लगता मरने में. एक बटन दबा, एक बम फटा, और सैकड़ों भारतवासियों को मौत की सजा मिल गई. आतंकवादियों की अदालत में कोई सुनवाई नहीं, सीधा फ़ैसला होता है. मौत दे दो, और यह भी पता नहीं किसे. कौन मरेगा कोई नहीं जानता. बेचारा मरने वाला भारतवासी और उसके परिवार वाले यह भी नहीं जानते कि उसे किस अपराध की सजा मिली.
क्या मरने वाले का अपराध यह है कि वह भारतवासी है? क्या उसका अपराध यह है कि आज देश में एक नपुंसक सरकार है जिसे अपनी कुर्सी से प्यार है, देश और देशवासियों से नहीं. जो वोट के लिए आतंकवाद विरोधी कानून को रद्दी की टोकरी में दाल देती है और कहती है, 'प्यारे मजे करो, खूब बम चलाओ, हम तुम्हारे साथ है, बस अपने धर्म वालों से कह देना कि हमें वोट दें'.
क्या करें भारतवासी? जिस देश की सरकार आतंकवादियों के साथ हो, क्या करें उस देश के नागरिक? कोई जवाब है किसी के पास?
Sunday, 3 August 2008
विश्व मित्रता दिवस पर सबको शुभकामनाएं
Saturday, 2 August 2008
कुछ लोग ऐसे ही होते हैं .....
अभी कल ही मैंने प्रेमचंद के 'नमक के दारोगा' की बात की थी. आज यह नए दारोगा निकल आए. पर क्या प्रेमचंद के दारोगा की तरह इस दारोगा को भी कोई उनकी ईमानदारी का ईनाम देने सामने आएगा?
Friday, 1 August 2008
हवा से चलेगी टाटा की नई कार
६ सवारियों के लिए यह कार भारत में अगले साल मिलने की सम्भावना है. यह कार एक टेंक में भरी कंप्रेस्ड हवा से चलेगी. यह एयर कार, मिनिकेट, लगभग ३.५ लाख में आएगी और एक बार पूरी हवा लेकर ३०० किमी तक चल सकेगी. रुपए ५० खर्च होंगे १०० किमी चलने में. बाकी बातें अगली किसी पोस्ट में. आज से ही सपने देखने शुरू कर दीजिये.