दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Wednesday 2 July, 2008

दो बेटियॉ भारत की

यह कहानी नहीं है यथार्थ है,
दो बेटियॉ भारत की,
एक एक छोर की,
दूसरी दूसरे छोर की,
एक महान,
दूसरी सबके लिए अनजान,
एक को मिलती है टॉप सिक्योरिटी,
दूसरी को सिक्योरिटी से ही खतरा है,
पहली के बारे मैं क्या कहें?
दूसरी की बात करते हैं.

गरीब माँ करती है काम,
सुबह से शाम,
तब जुटा पाती है दो वक्त की रोटी,
कैसी पढ़ाई, कैसी लिखाई,
तन ढकने को पूरे कपड़े नहीं,
नोचती हैं गन्दी निगाहें,
माँ रहती है परेशान,
डर लगता है बेटी अकेली है झोपड़ी मैं,
कुछ अनहोना न हो जाए,
और एक दिन हो जाता है,
वही जिसका डर था.

घुस आते हैं झोपड़ी मैं वहशी दरिंदे,
करते हैं वलात्कार,
मार डालते हैं पीट पीट कर,
कोई नहीं सुनता उसका चीत्कार,
कोई नहीं आता बचाने को,
ख़बर छपती है अखबार मैं,
एक दिन बस एक दिन.
फ़िर दूसरे दिन दूसरी ख़बर,
एक और दूसरी बेटी की.

देश की प्रथम नागरिक महिला,
देश की कर्णधार महिला,
प्रदेश की मुखिया महिला,
और ढेर सारे कानून,
पुलिस की लम्बी कतार,
सब व्यर्थ, सब बेकार.

शास्त्र कहता है,
‘जहाँ होता है नारी का सम्मान,
वहाँ करते हैं देवता निवास’,
मनाया होगा कंचक एक दिन,
की होगी पूजा इन बेटियोँ की,
माँ, बहन, पत्नी ने,
इन वहशी दरिंदों की,
कहाँ पहुंचे हैं हम?
कहाँ पहुंचेंगे हम?

3 comments:

Advocate Rashmi saurana said...

Sureshji. bhut sundar. likhate rhe.

harminder singh said...

ये अंतर बहुत गहरा है। एक महिला जहां ऊंचाई पर विराजमान है तो दूसरी ओर एक महिला जमीन पर है।

शोभा said...

बहुत ही सुन्दर रचना। बधाई स्वीकारें।