कामरेड सोमनाथ जी,
आज कल लोग आपकी राजनितिक शुचिता की बात करने लगे हैं. कुछ लोगों ने तो इस पर ब्लाग पोस्ट भी लिख डाली हैं. कैसे अनजान हैं यह लोग कि यह भी नहीं जानते कि राजनितिक शुचिता कुर्सी के साए में पनपती है और जब जैसी जरूरत हो रंग बदलती है. आपको अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए कुछ तो कारण चाहिए, और बीजेपी की आड़ लेकर तो बहुतों ने अपनी कुर्सी बचाई है. यह सरकार ही बीजेपी की आड़ लेकर बनी है और इतने दिन चलती रही है. अगर आप भी बीजेपी की आड़ लेकर अपनी कुर्सी बचाते हैं तो इस में क्या बुराई है?
मैं आपको एक राय देना चाहूँगा. अगर आप बीजेपी के साथ मिल कर वोट नहीं करना चाहते तो सरकार के पक्ष में वोट दे देना. अगर आप यह कहें की इस से तो आपका वोट डील के पक्ष में हो जायेगा तब यह आपकी पार्टी को पहले से सोचना चाहिए था. मुझे लगता है कि आपसे ज्यादा समझदार तो अमर सिंह हैं. उन्होंने तो कह दिया अडवानी बुश से ज्यादा खतरनाक हैं, इस लिए उनकी पार्टी बुश का समर्थन करेगी. अब आप तो अडवानी और बुश दोनों के बराबर ख़िलाफ़ हैं. मेरी बात मानिये, सरकार को फ़िर से समर्थन की चिट्ठी दे दीजिये. परदेसी आका कुछ देर के लिए नाराज होंगे, पर आपकी कुर्सी तो बची रहेगी. मुलायम को भी धोखा देने की सजा मिल जायेगी. सोनिया जी खुश हो जायेंगीं. अडवानी का सपना पूरा होने से पहले ही टूट जायेगा. एक तीर से कई शिकार हो जायेंगे.
अगर आपको मेरी राय पसंद आए और आपकी कुर्सी बच जाए तो लोक सभा दीर्घा का एक पास भिजवा दीजियेगा.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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2 comments:
aapne sahi likha hai rajniti apni jarurat ke anusar rang badalti hai.
जय सोमनाथ
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