उन्होंने कहा,
हम चुनाव लड़ रहे हैं,
मैंने कहा,
चुनाव कोई लड़ाई नहीं है,
चुनाव एक प्रक्रिया है,
जन प्रतिनिधि चुनने की.
उन्होंने कहा,
प्रदेश मैं हमारा शासन है,
मैंने कहा,
प्रदेश को शासन की नहीं,
प्रबंध की जरूरत है.
उन्होंने कहा,
अरे आप हमें पहचाने नहीं!
मैंने कहा,
लगता है आपको कहीं देखा है,
भाई हम वोट मांगने आए थे आपसे,
और अब किसलिए आयें हैं मैंने पूछा,
फ़िर से वोट मांगने,
पाँच वर्ष हो गए हैं न.
उन्होंने कहा,
हमारी सरकार आम आदमी की सरकार है,
मैंने कहा,
बहुत अच्छी बात है,
पर क्या आप जानते या पहचानते हैं,
आम आदमी को?
उन्होंने कहा,
हम धर्म-निर्पेक्क्ष हैं,
मैंने कहा,
बहुत अच्छी बात है,
पर कथनी को करनी भी बनाइये.
उन्होंने कहा,
देश को खतरा है नक्सलवादियों से,
मैंने कहा,
और धर्म पर आतंक मचाने वाले?
अरे वह तो अपने हैं.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Friday, 1 February 2008
मैं और वह
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