हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Sunday, 17 February 2008
कानून सब के लिए बराबर है !!!
मकान तोड़ दिया उनका नगर निगम ने,
कवर कर दिया था उन्होंने बरांडा,
पड़ोसी प्रदेश की मुख्यमंत्री ने,
ढांचा ही बदल दिया सरकारी मकान का,
काफी कुछ नया बना दिया,
पर उनसे किसी ने पूछा तक नहीं,
जब अखबार मैं छपी ख़बर,
तब सरकार ने कहा हमें पता नहीं,
हमसे कोई इजाजत नहीं ली किसी ने.
अपने मकान मैं छोटा सा बदलाव,
और इतनी बड़ी सजा,
सरकारी मकान मैं तोड़ फोड़,
पर कोई सजा नहीं,
फ़िर भी यह दावा,
'कानून सब के लिए बराबर है'.
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