दिल्ली है दिल हिन्दुस्तान का,
यह कहते थे हम बड़े गर्व से,
एक शायर ने भी कहा था,
'जीना तेरी गली मैं, मरना तेरी गली मैं'
पर अब काफ़ी कुछ बदल गया है,
दिल मैं नहीं रही अब मोहब्बत,
मोहब्बत बदल गई है नफरत मैं,
गलियों मैं घूम रहें है कातिल.
अब दिल्ली मैं नहीं है कोई सुरक्षित,
न दिन मैं और न रात मैं,
न गलियों मैं और न घर मैं,
कब कौन किसे मार देगा,
कब कुचल देगी बस किस को,
कब पुलिस हवालात मैं मर जाएगा कौन,
कोई नहीं जानता.
एक और नया कातिल आया है दिल्ली मैं,
किलर बस कारीडार,
चड़ चुके हैं भेंट इसे कई नागरिक,
कल ही हुआ शिकार एक और नागरिक,
सरकार और सरकारी अधिकारी,
सत्ता के नशे मैं चूर,
जनता के पैसे से ऐयाशी मैं मगरूर,
हैं इस से अनजान,
हमारा भारत देश है महान.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Saturday, 16 February 2008
एक और नया कातिल दिल्ली मैं
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