गणतंत्र दिवस आया और चला गया,
राजपथ पर परेड हुई,
पर इस बार कुछ नया भी हुआ,
शपथ ली एक महिला ने,
देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति,
सुना है उनके बाजू मैं अभी भी दर्द है.
परेड के मुख्य अतिथि,
फ्रांस के राष्ट्रपति,
हिम्मत नहीं जुटा पाए,
अपनी गर्भवती महिला मित्र को साथ नहीं लाये.
कुछ अन्याय भी हुआ इस बार,
पहला अन्याय प्रणब के साथ,
उन्हें दे दिया पदम विभूषण,
देना था भारत रत्न.
दूसरा अन्याय अर्जुन, पाटिल के साथ,
इन्हें कोई पुरूस्कार नहीं,
कांग्रेस का हर नेता महान है,
देश की शान है,
क्या इस से सोनिया जी अनजान हैं?
तीसरा अन्याय करात के साथ,
वह रूठ्ते थे और प्रणब मनाते थे,
मानने और मनाने मैं ही चल रही है सरकार,
यह कैसे भूल गई सोनिया जी?
मनाने वाले को पदम विभूषण,
और मानने वाले को ठेंगा,
नई सदी का सबसे बड़ा अन्याय.
कांग्रेसी नेताओं को क्या कहें,
मन ही मन मैं गुर्राते रहेंगे,
सामने सलाम बजाते रहेंगे,
करात से ही उम्मीद है हमें,
अन्याय का करेंगे विरोध,
रूठ जाइये तुरंत,
जब आयें प्रणब मनाने को,
मानिएगा मत,
बिना पदम विभूषण लिए.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Saturday, 2 February 2008
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