दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Wednesday 28 January, 2009

बेटी, पराया धन

मां-वापू, 
क्यों कहते हो मुझे पराया धन?
तुमने मुझे जन्म दिया,
पाल पोस कर बड़ा किया,
खून बहता है तुम्हारा मेरी रगों में,
किसी और को में जानती नहीं.

बताओ न  मां-वापू, 
कौन है वह जो मुझे तुम्हें दे गया?
कृष्ण को जन्म दिया देवकी ने,
पाला पोसा यशोदा ने,
क्या कृष्ण पराया धन थे?
देवकी का यशोदा के पास,
पर मेरे साथ तो ऐसा भी नहीं है,
मुझे तुम्हीं ने जन्म दिया,
तुम्हीं ने पाला पोसा,
फ़िर में कैसे हो गई पराया धन?
  
भईया की तरह में बेटी हूँ तुम्हारी,
उसे कभी नहीं कहा तुमने पराया धन,
मैं भी तुम्हारा अपना धन हूँ, 
भईया की तरह,
मां-वापू, 
मत कहो मुझे पराया धन,
जब तुम ऐसा कहते हो,
कलेजा कटता है मेरा.

2 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

bahut sundar, bhawnaon se ot-prot.

राज भाटिय़ा said...

बेटिया पराया धन नही होती, अपने ही दिल का एक टुकडा होती है, लेकिन उसे किसी की अमानत समझ कर रखा जाता था, पबित्र, दुनिया की गन्दी नजरो से बचा कर, लेकिन आज कल मां बाप ही बेटी की कमाई खाते है... फ़र्क तो कुछ नही पडता हर किसी को ओर जिन्हे पडता है वो आज भी बेटी को एक अमानत ही समझते है,
धन्यवाद