दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Monday, 12 January 2009

जब बन जायेंगी आप मेरी मां!!!

पड़ोसिनों से घिरी,
वह कर रही थीं निंदा,
अपनी बहू की,
उसके मायके वालों की,
इस सब को बर्दाश्त करती,
बहू लगी थी खातिर में.

एक पडोसन ने पूछा,
तुम्हारी बहू तुम्हें सासू जी कहती है,
सासू मां, मां, या मम्मी क्यों नहीं?
सब पड़ोसिनों ने सर हिलाया,
हाँ, यह तो नोटिस किया है हमने भी,
सासू जी ने गोली दागी,
बहू जवाब दे इनकी बात का.

शांत स्वर में बोली बहू,
सासू जी कहती हूँ आपको,
क्यों की आप सासू जी हैं मेरी,
'मां' नहीं कह सकती?
वह गुस्से से चिल्लाईं, 
कहूँगी 'मां', बहू बोली,
जब बन जायेंगी आप मेरी 'मां',
क्या मतलब, वह चकराईं, 
अभी आप हैं मां,
अपने बेटे और बेटी की,
मेरी तो केवल सास हैं आप,
आप निभाती हैं सास का धर्म ,
मैं निभा रही हूँ धर्म बहू का. 

1 comment:

Anonymous said...

bilkul theek likha hai sir, yahi antar to saas bahu ko milne nahin deta.