बड़े लड़ैया हैं नेता जी,
इनकी मार सही न जाए,
एक को मारें दो मर जाएँ,
तीसरा मरे सनाका खाए,
कथनी कुछ और करनी कुछ,
है डिग्री यह नेता जी की,
जाति, धर्म, भाषा के झगडे,
रोज कराते हैं नेता जी.
प्रजातान्त्रिक देश हमारा,
नेतातान्त्रिक देश बनाया,
मरने तक कुर्सी न छोड़ी,
बेटे को कुर्सी पे बिठाया.
काट-काट जेबें जनता की,
अपनी जेब भरें नेताजी,
दोनों हाथों में लड्डू हैं,
कोई काम करें नेताजी.
मरने पर भी दुखी करें जो,
उनको कहते हैं नेताजी,
बना म्यूजियम घर अब उनका,
भूत बने रहते नेताजी.
अलग-अलग लेबल चिपकाते,
अपने माथे पर नेताजी,
अलग काम की अलग है कीमत,
लगे सेल पर हैं नेताजी.
हे भगवान छुड़ाओ पीछा,
जोंक बने चिपके नेताजी,
सारा खून चूस कर भी,
खाली पेट खड़े नेताजी.
7 comments:
khoob bajayee hai netaji ki par inhen koi shrm nahi ati bahut achhi lagi aapki kavita
नेताजी की अच्छी व्याख्या की। बहुत बहुत धन्यवाद
आप सभी को 59वें गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं...
जय हिंद जय भारत
अच्छा नेता आल्हा सुनाया आपने
हे भगवान छुड़ाओ पीछा,
जोंक बने चिपके नेताजी,
सारा खून चूस कर भी,
खाली पेट खड़े नेताजी.
bahut khub sir
अजी नेता कोई कुत्ता है जो पीछे पड जायेगा???
छा गए आप तो
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
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