दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Wednesday, 7 January 2009

तू पागल है क्या?

हमारे मोहल्ले का मेडिकल सेंटर,
लगा है वहां एक बोर्ड,
लिखा है जिस पर,
यहाँ नहीं होता,
गर्भस्थ शिशु का लिंग परीक्षण, 
नीचे कोने में लिखा है,
कंडीशंस एप्लाई. 

लोग उसे पागल कहते हैं,
कल उसका भाई पकड़ा गया,
अपहरण और बलात्कार के अपराध में,
वह गई जेल में उस से मिलने,
'भाई तुम ने यह क्या किया,
मैं तो थी घर में मौजूद,
तुम्हारा काम भी हो जाता,
और जेल भी नहीं होती'
भाई गुस्से से चिल्लाया,
'तू पागल है क्या?'
'नहीं मैं एक औरत हूँ,
बिल्कुल उस लड़की की तरह,
जैसे वह लड़की है बहन,
किसी भाई की, मेरी तरह'.


5 comments:

Vinay said...

वाह साहब क्या मज़ेदार कविता सुनायी, सच कड़वा होता है पर अपनी कविता मधुर है

---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम

RAJIV MAHESHWARI said...

सच को कहने के लिए धन्यवाद .

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

bahut kaduva sach aap saamne laye.

राज भाटिय़ा said...

'भाई तुम ने यह क्या किया,
मैं तो थी घर में मौजूद,
तुम्हारा काम भी हो जाता,
और जेल भी नहीं होती'
काश सभी लोग नारी के बारे इज्जत से सोचते, बहिन तो बहिन ही होती है, क्या मेरी , क्या उस की...
आप की कविता दिल को झंझकोर गई.
धन्यवाद

Akanksha Yadav said...

......अद्भुत, भावों की सरस अभिव्यंजना. कभी हमारे 'शब्दशिखर' www.shabdshikhar.blogspot.com पर भी पधारें !!