हमारे मोहल्ले का मेडिकल सेंटर,
लगा है वहां एक बोर्ड,
लिखा है जिस पर,
यहाँ नहीं होता,
गर्भस्थ शिशु का लिंग परीक्षण,
नीचे कोने में लिखा है,
कंडीशंस एप्लाई.
लोग उसे पागल कहते हैं,
कल उसका भाई पकड़ा गया,
अपहरण और बलात्कार के अपराध में,
वह गई जेल में उस से मिलने,
'भाई तुम ने यह क्या किया,
मैं तो थी घर में मौजूद,
तुम्हारा काम भी हो जाता,
और जेल भी नहीं होती'
भाई गुस्से से चिल्लाया,
'तू पागल है क्या?'
'नहीं मैं एक औरत हूँ,
बिल्कुल उस लड़की की तरह,
जैसे वह लड़की है बहन,
किसी भाई की, मेरी तरह'.
5 comments:
वाह साहब क्या मज़ेदार कविता सुनायी, सच कड़वा होता है पर अपनी कविता मधुर है
---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम
सच को कहने के लिए धन्यवाद .
bahut kaduva sach aap saamne laye.
'भाई तुम ने यह क्या किया,
मैं तो थी घर में मौजूद,
तुम्हारा काम भी हो जाता,
और जेल भी नहीं होती'
काश सभी लोग नारी के बारे इज्जत से सोचते, बहिन तो बहिन ही होती है, क्या मेरी , क्या उस की...
आप की कविता दिल को झंझकोर गई.
धन्यवाद
......अद्भुत, भावों की सरस अभिव्यंजना. कभी हमारे 'शब्दशिखर' www.shabdshikhar.blogspot.com पर भी पधारें !!
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