नए साल का नया सवेरा,
लेकर आया गहरा कोहरा,
बिजली वालों का उपहार,
विजली गायब हुआ अँधेरा.
फोन किया जब बिजली दफ्तर,
बिजली वाला बोला हंस कर,
कैसा लगा हमारा तोहफा?
ऐसे कई अनोखे तोहफे,
तुमको पूरे साल मिलेंगे,
दिल्ली वालों को खुश करके,
हमारे ह्रदय कमल खिलेंगे.
गर्मी में जब बिजली जाए,
तुमको रोना न आ जाए,
इसीलिए हम सब ने सोचा,
जाड़ों में भी बिजली जाए,
सारे साल बिना बिजली के,
रहने की आदत पड़ जाए.
विकट अँधेरा घिरा देश में,
कैसे घर में आए रौशनी?
घर और देश अंधेरे में हों,
ऐसी हमने कोशिश करनी.
आओ दिल्ली वालों आओ,
हमारे संग तुम हाथ बटाओ,
नया साल मुबारक तुमको,
मोमबत्ती से काम चलाओ.
2 comments:
सुरेश जी मन खुश हो गया आप की कविता पढ कर.
धन्यवाद
भाटिया साहब से सहमत, पूरे देश में यही आलम है, जब दिल्ली में यह हालत होगी तो बाकी देश का अन्दाजा लगाया जा सकता है.
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