दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Sunday, 25 January 2009

नेताजी महिमा

बड़े लड़ैया हैं नेता जी,
इनकी मार सही न जाए,
एक को मारें दो मर जाएँ,
तीसरा मरे सनाका खाए,

कथनी कुछ और करनी कुछ,
है डिग्री यह नेता जी की,
जाति, धर्म, भाषा  के झगडे,
रोज कराते हैं नेता जी.

प्रजातान्त्रिक देश हमारा,
नेतातान्त्रिक देश बनाया,
मरने तक कुर्सी न छोड़ी, 
बेटे को कुर्सी पे बिठाया. 

काट-काट जेबें जनता की,
अपनी जेब भरें नेताजी,
दोनों हाथों में लड्डू हैं, 
कोई काम करें नेताजी.

मरने पर भी दुखी करें जो,
उनको कहते हैं नेताजी,
बना म्यूजियम घर अब उनका,
भूत बने रहते नेताजी. 

अलग-अलग लेबल चिपकाते,
अपने माथे पर नेताजी,
अलग काम की अलग है कीमत,
लगे सेल पर हैं नेताजी.

हे भगवान छुड़ाओ पीछा,
जोंक बने चिपके नेताजी,
सारा खून चूस कर भी,
खाली पेट खड़े नेताजी. 


7 comments:

निर्मला कपिला said...

khoob bajayee hai netaji ki par inhen koi shrm nahi ati bahut achhi lagi aapki kavita

अक्षत विचार said...

नेताजी की अच्छी व्याख्या की। बहुत बहुत धन्यवाद

मोहन वशिष्‍ठ said...

आप सभी को 59वें गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं...

जय हिंद जय भारत

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

अच्छा नेता आल्हा सुनाया आपने

makrand said...

हे भगवान छुड़ाओ पीछा,
जोंक बने चिपके नेताजी,
सारा खून चूस कर भी,
खाली पेट खड़े नेताजी.
bahut khub sir

राज भाटिय़ा said...

अजी नेता कोई कुत्ता है जो पीछे पड जायेगा???

अनिल कान्त said...

छा गए आप तो

अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति