एक आदमी गरम हवा के गुब्बारे में उड़ रहा था. कुछ देर बाद उसे अहसास हुआ कि वह भटक गया है और उसे यह भी पता नहीं है कि वह कहाँ है. जब उसने गुब्बारे को कुछ नीचे उतारा तो उसने देखा कि एक महिला अपने बगीचे में फूलों को पानी दे रही है. गुब्बारे को कुछ और नीचे उतार कर वह चिल्लाया, "क्या आप मेरी मदद कर सकती हैं? मैंने एक दोस्त को एक घंटा पहले मिलने का वायदा किया था, पर मैं यह नहीं जान पा रहा हूँ कि मैं कहाँ हूँ."
महिला ने जवाब दिया, "आप एक गरम हवा के गुब्बारे में हैं जो जमीन से लगभग ३० फीट ऊपर है. आप ४० और ४१ डिग्री नॉर्थ लेटीच्युड के और ५९ से ६० डिग्री वेस्ट लोंगिच्युड के बीच में हैं.
"आप जरूर एक एकाउन्टटेनट हैं", आदमी ने कहा.
"हां, मैं एक एकाउन्टटेनट हूँ. पर आपको कैसे पता चला?" महिला ने कहा.
उस आदमी ने जवाब दिया, "आप ने जो मुझे बताया वह तकनीकी तौर पर सही है पर इस जानकारी से मुझे यह नहीं पता चल पाया कि मैं कहाँ हूँ? मैं अभी भी भटका हुआ हूँ. सच कहूं तो आप मेरी कुछ मदद नहीं कर सकीं. हां, आपने मुझे और देर करवा दी".
महिला ने जवाब दिया, "आप जरूर मेनेजमेंट व्यवसाय में हैं".
"हाँ, आप सही हैं", उस आदमी ने कहा, "पर आपको कैसे पता चला?".
महिला ने जवाब दिया, "आपको यह नहीं पता कि आप कहाँ हैं. आप गरम हवा के सहारे गुब्बारे में उड़ रहे हैं पर कहाँ किधर जाना है यह नहीं जानते. आपने एक वायदा किया था जिसे कैसे पूरा करना है आप को पता नहीं. आप यह उम्मीद करते हैं कि जमीन पर खड़े दूसरे लोग आपकी समस्यायें दूर करेंगे. सच्चाई यह है कि आप उसी स्थिति में हैं जिसमें आप मुझसे मिलने से पहले थे, पर आपने अपनी समस्या में मुझे भी उलझा लिया है. आप के कारण अब मैं भी आपकी समस्या के लिए जिम्मेदार हो गई हूँ".
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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6 comments:
ha ha ha............ bhut badhiya.
बहुत खूब.
क्या शानदार उदहारण देकर आपने समझाया है.
बहुत अच्छे... :)
वाह...किस खूबसूरती से बात समझाई है आप ने...बधाई
नीरज
दोनो सायाने हे, आप का जबाब नही कितने प्यारे ढग से दोनो के बारे बता दिया.
dono kak-bhusund ke swami hai. majedaar
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