मेरे एक मित्र ने कहा, "लोग चुटकुले लिखते समय 'पढ़ो और हंसो' क्यो लिखते हैं? यह तो एक जबदस्ती हो गई कि अगर हम चुटकुला पढ़ेंगे तो हँसना भी पढ़ेगा". मुझे अपने मित्र की बात में दम नजर आया. इसलिए मैंने लिखा, 'पढ़ो और हँसना चाहो तो हंसो'
"सर जब आपने कहा कि मेरी तारीफ़ करना बंद करो और पार्टी के लिए काम करो, तब क्या आप सीरियस थे?", एक चमचे ने नेताजी से पूछा.
नेता जी ने जवाब दिया, "अरे भई ऐसा कहना पड़ता है. यह राजनीति है".
चमचा खुश हो गया, "इसका मतलब है कि हम तारीफ़ करना जारी रखें?".
"हाँ", नेता जी मुस्कुराए, "तारीफ़ जारी रखो बल्कि और ज्यादा तारीफ़ करो. कहो कि यह तुम्हारी अंतरआत्मा की आवाज है".
नेता जी ने 'आम आदमी के सिपाही कैंप' में हिस्सा लिया. एक बुजुर्ग सज्जन ने कहा कि कोई आम आदमी का नेता है, तो कोई आम आदमी की सरकार है, अब आम आदमी के सिपाही पैदा हो गए. बस नजर नहीं आता तो आम आदमी.
जिस चेनल ने 'रिश्वत लो, वोट दो' टेप बनाया था, अब उसे जनता को दिखाने से मना कर रही है. बहाना ले रही है कि लोक सभा अध्यक्ष जैसा कहेंगे बैसा करेंगे. अब न्यूज़ चेनल भी राजनीति करने लगी हैं. राजदीप कहीं एमपी बनने की तैयारी तो नहीं कर रहे?
उन्होंने कहा कि अगर केन्द्र में हमारी सरकार बनी तो हम अफज़ल को फांसी देंगे. कुछ दिन पहले अफज़ल ने कहा था कि वह भी यही चाहता है. आतंकवादियों को चाहिए के वह उनकी पार्टी को जिताने के लिए काम करे ताकि उनके नेता अफज़ल की यह इच्छा पूरी हो सके.
केन्द्र सरकार ने कहा कि वह राम सेतु को राष्ट्रिय मोनुमेंट इसलिए नहीं मान सकती कि कुछ हिंदू ऐसा कह रहे हैं. मेरे एक मित्र ने कहा कि अब मुसलमान तो ऐसा कहेंगे नहीं जिनकी बात यह सरकार आँख बंद करके, वोटों के सपने देखते हुए, मानती है.
रिश्वत देकर सरकार बचाने का रिकार्ड कांग्रेस के नाम है. मनमोहन जी ने नरसिम्हा राव द्बारा पहले बनाया रिकार्ड बहुत अच्छे मार्जिन से तोड़ दिया.
शिक्षक ने छात्र से पूछा, 'कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है कहावत को आज के सन्दर्भ में समझाओ'.
छात्र ने समझाया, 'मनमोहन जी ने पाया विश्वास मत और खोया इमानदारी, नेतिकता, व्यवहार में शुचिता और जनता का विश्वास'.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Wednesday, 30 July 2008
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3 comments:
सुरेश बाबू, नहीं चाहते हुए भी हँसना पड़ेगा। क्योंकि यह राजनीति अब सिर्फ़ हँसने लायक ही बची है। चिन्ता करने से कोई फ़ायदा नहीं दिख रहा है।
अच्छी गुदगुदाने वाली पोस्ट...
करारे कटाक्ष है.
हास्य व्यंग्य का जबरदस्त मिश्रण है.
सटीक..वाह!
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