मैं जानता हूँ आप धर्म और भगवान को नहीं मानते, पर मैं मानता हूँ. जो लोग दूसरों का हित करते हैं भगवान उन्हें स्वर्ग में जगह देता है. आज़ादी (आपकी पार्टी जिसके ख़िलाफ़ थी) के बाद आपसे ज्यादा दूसरों का हित किसी ने नहीं किया. आप ने सरकार से समर्थन लेने का एक महान कार्य किया, और सैंकड़ों लोक सभाईयों का भविष्य बल्ले-बल्ले हो गया. कुछ जो चुनकर जेल चले गए थे, जिन्होनें आज तक लोक सभा में एक शब्द भी नहीं बोला, करोड़ों की बात कर रहे हैं. कोई कह रहा था, आपके एक झटके से एक एमपी की कीमत ३५ करोड़ हो गई है. मेरे फ्लेट की कीमत ५० लाख भी नहीं हुई, जबकि पास में माल बन रही है और साइड से बहते गंदे नाले को पाट कर दुकानें बनाने की बात चल रही है.
मेरा एक जानकार आज फूट-फूट कर रो रहा है. उसके ऊपर दर्ज़न से ज्यादा मुकदमें चल रहे हैं. पिछले चुनाव के समय उसने कई लोगों को जान से मार डाला था. उसकी इस योग्यता को देखते हुए उसे एक पार्टी चुनाव का टिकट दे रही थी. पर वह तैयार नहीं हुआ. मान जाता तो जेल में बैठे-बैठे आज ३५ करोड़ का मालिक होता. मान्यवर कहा जाता सो अलग.
अगर आप के झटके से सरकार गिर जाती है तो आप का नाम इतिहास में अमर हो जायेगा. सोमनाथ दादा पता नहीं किस चक्कर में आप से पंगा ले रहे हैं. अगर पंगा लेना ही था तो किसी खरीदार से बात करते और ३५ करोड़ अपनी जेब में करते. वोट के बाद तो आपने उन्हें पार्टी से निकालना ही है. उनके लिए तो यह वही कहावत हो गई - न खुदा ही मिला न विसाले सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे. लगता है सठिया गए हैं सोमनाथ दादा.
मनमोहन ने आप के साथ बहुत बुरा किया. इतने सालों से आपके सामने घुटना टेके बैठे थे, पता नहीं इस बार क्या हो गया. आपको मजबूर कर दिया समर्थन वापस लेने के लिए. बरना हर बार की तरह इस बार भी आप धमकी देते और इस बार भी माफ़ करके अगली बार के लिए सावधान कर देते. भले ही आपने उन्हें सबक सिखाने के लिए ऐसा किया था पर ईश्वर का कमाल देखिये, कितने नामाकूलों की जिंदगी चमक गई. इस का काफ़ी क्रेडिट मनमोहन को भी मिलेगा. आप के साथ-साथ वाहे गुरु उन पर भी कृपा करेंगे.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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4 comments:
karat ji to maya ji ki jay bol rahe hai....
बहुत सुन्दर।
sahi likha hai. badhiya.
गज़ब का लिखा है, भाई साहब ! बधाई
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