भारत से डाक्टर्स अचानक ही देश छोड़ कर जाने लगे. रामादोस ने डाक्टर्स से कहा कि उन्हें अपने देश में ही रहना चाहिए. एक डाक्टर ने कहा, 'जब तक आप स्वास्थ्य मंत्री हैं तब तक नहीं'.
भारत की 'आत्महत्या राजधानी' विधर्व के ग्राम वासियों से राहुल गांधी ने कहा, 'आशा मत छोड़िये, सपने देखते रहिये'. एक ग्रामवासी ने बुरा मुंह बनाते हुए कहा, 'यह बताने के लिए आप दिल्ली से यहाँ आयें हैं. पिछले ६० वर्षों से हम यही तो कर रहे हैं'.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी स्पीकर के चक्कर में फंस गई है. उनका एक मात्र प्रभावी स्पीकर लोक सभा के स्पीकर पद से हटने को तैयार नहीं है.
दिल्ली के पुलिस कमिश्नर ने कहा कि राजधानी में अपराध कम हो रहे हैं.शीला दीक्षित ने उस समय तो गर्दन हिला दी सहमति में, पर जब उन्हें पता लगा कि जनता इस बात पर नाराज है तो उन्होंने कहा कि दिल्ली में अपराध बढ़ रहे हैं. अकेले में उन्होंने बताया कि वह भूल गई थीं कि दिल्ली में चुनाव होनें है.
मेरे पड़ोसी ने पूछा क्या में आपका घास काटने का यंत्र इस्तेमाल कर सकता हूँ? मैंने कहा, 'बड़े शौक से, पर उसे मेरे बगीचे में ही इस्तेमाल करियेगा'.
उन्होंने दुकानदार से पूछा, 'यह आर्गेनिक सब्जियाँ हैं न?'
दुकानदार ने कहा, 'हाँ'.
उन्होंने पूछा, 'इन में जहरीला रसायन छिड़का है क्या. मुझे अपनी पत्नी के लिए लेनी हैं'.
'नहीं', दुकानदार ने कहा, 'यह काम आप को ख़ुद करना होगा'.
एक बहुत मालदार आदमी अपनी लम्बी कार में जा रहा था. रास्ते में उसने देखा कि एक आदमी घास खा रहा है. उसने तुंरत कार रोकी, उतरा और उस आदमी से पूछा कि वह घास क्यों खा रहा है? उस आदमी ने बताया कि वह कई दिन से भूखा है और भूख मिटाने के लिए घास खा रहा है. मालदार आदमी को उस पर बहुत दया आई. उसने कहा, 'मेरे घर चलो, में तुम्हें खूब खिलाऊँगा'.
भूखे आदमी ने कहा कि उसके साथ उस की पत्नी और ६ बच्चे हैं और वह भी भूखे हैं. मालदार आदमी ने सबको चलने के लिए कहा. सब खुशी से कार में सवार हो गए. रास्ते में भूखे आदमी ने कहा, 'आप बहुत दयालु हैं'.
'अरे ऐसी कोई बात नहीं है', मालदार आदमी बोला, 'मेरे लान की घास एक फीट लम्बी और बहुत मुलायम है'.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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9 comments:
हा हा सही है..
mai muskra diya hun....
मजेदार!! हा हा!!
पॆट दुखने लगा हे आप के चुटकले पढ कर, अगली टिपण्णि मे आप को डा० का बिल भी भेज रहा हु.
वाह!! बहुत-बहुत बढिया....पढकर मजा आ गया।
मजेदार:))
बहुत बढ़िया!:)
घुघूती बासूती
आखिरी चुटकुले में जो मालदार आदमी था, वो या तो राजनेता था या फिर वकील।
भाई गुप्ताजी आपने तो तबियत हरी कर दी सै !
घणा मजा आग्या आड़े तो ! अगली बार फ़िर आणा पडेगा ! इब कब लिखोगे ?
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