दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Thursday 10 July, 2008

भीख मांग कर पुलिस को रिश्वत दी

एक मोटा संपन्न दिखने वाला व्यक्ति नगर सेठ की पत्नी के घर पहुँचा और सेठानी से मिलने की इच्छा जाहिर की. सेठानी दान करने के लिए बहुत मशहूर थीं. यह कहा जाता था कि उनके द्वार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता.
उस व्यक्ति ने दुःख भरी आवाज में कहा, "में आपका ध्यान एक बहुत ही गरीब परिवार की और दिलाना चाहता हूँ . पिता मर चुके हैं. माता एक बहुत ही गंभीर बीमारी से ग्रस्त है. उसके नौ बच्चे भूख से व्याकुल छटपटा रहे हैं. अगर उन्होंने तुंरत ही मकान का किराया नहीं दिया तो उन्हें मकान से निकाल कर सड़क पर फैंक दिया जायेगा. क्या आप किराए के पाँच सौ रुपए दान में देंगी?"
"कितने दुःख की बात है!", सेठानी ने द्रवित स्वर में कहा, "पर क्या में जान सकती हूँ कि आप कौन हैं?".
उस व्यक्ति ने आँखें पोंछते हुए कहा, "में उनका मकान मालिक हूँ".
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डेनिस के छोटे भाई का चर्च में बेपतिस्म हुआ. जब वह घर लौट रहे थे तब डेनिस सारे रास्ते रोता रहा. उसके पिता ने पूछा कि वह क्यों रो रहा है?
डेनिस ने रोते हुए जवाब दिया,"पादरी कह रहे थे कि वह चाहते हैं कि हमारी परवरिश एक अच्छे क्रिस्चियन परिवार में हो, पर में आप और मामा के साथ रहना चाहता हूँ".
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"अरे तुमने सुना, पाकिस्तान में मुस्लिम औरतें जिहाद के लिए बच्चे पैदा करेंगी", सुबह का अखबार बांचते हुए पति ने पत्नी से कहा.
पत्नी बोली, "चलो अच्छा हुआ, अब मुल्लाओं को उन्हें आतंकवादी बनाने में कोई मेहनत नहीं करनी होगी. पले पलाये आतंकवादी सप्लाई किए जायेंगे."
"मैं सोच रहा था कि अगर हर देश की मुस्लिम औरतों ने यह फ़ैसला कर लिया तो क्या होगा?", पति ब्रड़बड़ाऐ.
"तो क्या होगा?", पत्नी ने जवाब दिया, "हर मुस्लिम आतंकवादी नहीं है इस पर बहस ख़त्म हो जायेगी".
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"लालू जी मुंबई रेल आतंकवादी हमले में घायल लोगों को अदालत में खींच रहे हैं", सुबह का अखबार बांचते हुए पति ने पत्नी से फ़िर कहा, "मुआबजे पर दिए गए व्याज का पैसा वापस मांग रहे हैं".
"लालू जी और उनकी सरकार कुछ भी कर सकती है", पत्नी ने कहा, "आखिरकार आम आदमी की सरकार है यह", पत्नी ने कहा.
"ख़ाक आम आदमी की सरकार है यह, जिंदगी दूभर कर दी इस सरकार ने आम आदमी की. अरे जितना व्याज नहीं है उस से ज्यादा वकील खा जायेंगे मुकदमें में", पति गुस्से से चिल्लाये.
"चिल्ला कर अपने ब्लड प्रेशर क्यों बढ़ाते हो?", पत्नी ने समझाया, "यह वकील, डाक्टर, व्यापारी, पुलिस, गुंडे ही तो हैं इस सरकार के आम आदमी".
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"अरे तुम कह रही थीं न कि हमारा बेटा बहुत बिगड़ गया है, उसे सुधारने के लिए कुछ करो", पति घर में घुसते हुए जोश में चिल्लाये,
"अरे कैसे सुधारोगे यह तो बताओ?", पत्नी ने आशाप्रद स्वर में कहा.
"आज की ख़बर है कि अदालत बच्चिओं के बलात्कारियों को सजा नहीं देगी, बल्कि सुधारेगी", पति ने समझाया.
"पर हमारे बेटे ने तो किसी बच्ची का बलात्कार नहीं किया", पत्नी ने कहा.
"अरे तो अब करेगा न, उसे समझाओ कि तुंरत किसी बच्ची का बलात्कार करे जिससे अदालत उसे सुधार सके", पति अत्यन्त उत्साहित स्वर में बोले.
माता जी ने कहा, "हाँ अभी समझाती हूँ, पर देखो तुम भी समझाना. तुम ठीक से समझा पाओगे, है भगवान् आप कितने दयालु हो, अब हमारा बेटा सुधर जायेगा".
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"देखो आज से किसी भिखारी को झिड़कना मत", पति अखबार पढ़ते हुए बोले.
"क्यों ऐसा क्या हो गया आज?", पत्नी ने पूछा.
"एक गरीब आदमी का बेटा रोड एक्सीडेंट में मारा गया. पुलिस ने ऍफ़आईआर दर्ज करने और जांच करने के लिए रिश्वत मांगी. बहुत परेशान हो कर वह आदमी अदालत के दरवाजे पर बैठ गया और भीख मांगने लगा. वह कहता था मुझे भीख दो जिस से में भ्रष्ट पुलिस वालों को रिश्वत दे सकूं. दो दिन में उसने २८० रुपए जमा किए और उनका ड्राफ्ट बनाकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भेजा है. यह निवेदन किया है कि वह यह पैसा अपने भ्रष्ट पुलिस वालों में बाँट दें ताकि वह उसके बेटे की मौत की जांच कर सकें", पति ने बताया.
"हाँ यह बात तो है पता नहीं कौन बेचारा पुलिस को रिश्वत देने के लिए भीख मांग रहा हो?", पत्नी ने सहमति जतायी.

4 comments:

PD said...

समाज, व्यवस्था और दिल पर चोट करने वाला पोस्ट..
और क्या कहूं..

Advocate Rashmi saurana said...

vha vha maja aa gaya aapki post ke cutukale padhakar.

राज भाटिय़ा said...

अरे वाह सुरेश जी आप ने तो असली चमडे की देशी जुत्तीया सरकार के टिका टिका कर मारी हे, पहली बार पढे हे यह सब चुटकले, धन्यवाद

Rajesh R. Singh said...

भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था के महान आचार्य चाणक्य नें आज से लगभग ढाई हजार साल पहले लिखा था कि शासकीय कर्मी राजकोष का कितना धन हड़प जाते है, इसका पता लगाना उसी तरह कठिन है जैसे यह पता लगाना कि तालाब में मछली कितना पानी पी जाती है । आचार्य चाणक्य का यह आकलन आज भी सही है लेकिन एक सुधार के साथ । वह यह कि उनके समय में तालाब में मछलियाँ इतना ही पानी पीती होंगी कि उसके जल स्तर पर कोई असर नहीं पड़ता होगा, लेकिन अब तो आजादी के बाद हमारी प्रशासनिक एवं राजनैतिक मछलियों नें इतना पानी पी डाला है कि तालाब सूख गए है । आज के समय में केन्द्र सहित शायद ही कोई ऐसा राज्य होगा, जिसे कामकाज चलाने के लिए कर्ज का सहारा न लेना पड़ रहा हो और शायद ही कोई ऐसी 'मछली' होगी जिसकी सम्पन्नता का अपना तालाब न हो ।