दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Wednesday 9 July, 2008

और अब अदालत भी ..........

आज एक ख़बर पढ़ी, पढ़ कर बहुत बुरा लगा. दिल्ली हाई कोर्ट उन अपराधिओं को सजा नहीं देना चाहता जो बच्चियों का बलात्कार करते हैं. अदालत चाहती है कि इन अपराधिओं को सुधारा जाए, सजा न दी जाए. जिन बच्चिओं का बलात्कार हुआ उनके बारे में किसी को चिंता नहीं है. उन पर क्या गुजरती है, उनके परिवार वालों पर क्या गुजरती है, इस के बारे में सोचने का अदालत के पास समय नहीं है या वह इसे जरूरी नहीं समझती.

एक एनजीओ के अनुसार, जितने बलात्कार भारत में होते हैं उनमें मात्र ४.८% केसों में अपराधियों को सजा मिल पाती है, अवयस्क लड़कियों के साथ हुए बलात्कार का प्रतिशत ५०% है. जरा सोचिये,पहले ही १०० बलात्कारों में पाँच अपराधियों को सजा मिल पाती है, और अब इन पाँच को भी अदालत सजा नहीं देगी. उन्हें सुधारा जायेगा. आगे क्या होगा, शायद कोई प्रगतिशील अदालत इन बलात्कारियों को ईनाम भी दे डाले.

6 comments:

राज भाटिय़ा said...

हमारे देश मे कोई काम आज तक दिमाग से हुया हे जो अब होगा.

समयचक्र said...

mai raj ji ki teep se sahamat hun.

Rachna Singh said...

aap ki baat sae sehmat hun ki balatkaari ko sajaa naa dena ek aur balatkaar kae liyae nimentrn bhejnae kae smaan hee haen

admin said...

मैं पंचों की राय का सम्मान करता हूं।

Advocate Rashmi saurana said...

sahi kha.

डॉ .अनुराग said...

agar khabar sahi hai to vakai dukhad hai...