आज से ३७ वर्ष पहले,
जुड़े थे हम एक होने को,
पवित्र वैवाहिक बंधन में,
पूर्णता प्रदान की मुझे,
जिन्होनें अपने साथ से,
है आज उनका जन्म दिन,
वधाई देकर उन्हें,
लग रहा है मुझे,
जैसे दे रहा हूँ वधाई स्वयं को.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
2 comments:
लख-लख बधाईयां, यूंही आगे बढ़ते रहें.
हमारी तरफ़ से भी बहुत बहुत बधाई.
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