हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Thursday, 31 January 2008
आशा करना छोड़ दें क्वांरी पत्नी की
लोग उनके आटोग्राफ लेते हैं,
उन्हें सपनो मैं देखते हैं,
वह प्यार भरे दिलों का आदर्श हैं.
उन्होंने संबोधित किया भारत के पुरुषों को,
आशा करना छोड़ दें क्वांरी पत्नी की,
वुद्धिजीविओं ने कहा सही बात है,
प्रगतिशील भारत मैं अब कहाँ मिलेगी क्वांरी कन्या?
पुरानी भारतीय मान्यताओं मैं फंसे वेबकूफों ने,
हर बार की तरह इस बार भी विरोध किया.
सरकार तलाशती रही एक योग्य व्यक्ति,
भारत रत्न एवार्ड देने के लिए,
मैं नहीं समझ पाया,
क्यों नहीं आई नजर उन्हें यह महान सेलेब्रिटी?
लिव-इन रिलेशनशिप
गिर पड़े प्यार मैं एक दूसरे के साथ प्रथम द्रष्टि मैं.
दोनों थे पड़े लिखे और बुद्धिजीवी,
प्रगतिशील विचारों के और विरोधी पुरानी मान्यताओं के,
छटपटाते थे मुक्त होने को दकिआनूसी सामाजिक प्रथाओं से.
रहने लगे साथ लिव-इन रिलेशनशिप मैं.
एक दिन राजा गिर पड़ा प्यार मैं एक और रानी के,
ले आया उसे भी साथ रहने को,
रानी को यह नहीं भाया और उसने भी चक्कर चलाया,
गिर पड़ी प्यार मैं वह भी एक और राजा के,
बिन विवाह बढ़ने लगा लिव-इन परिवार,
एक रानी माँ बनी एक राजकुमारी की.
हमारे माँ बाप ने हमें कोई काम की बात नहीं सिखाई,
हम इसे सब कुछ सिखायेंगे,
हमारे माँ बाप ने जो जिम्मेदारी पूरी नहीं की,
वह हम पूरी कर दिखायेंगे,
दूसरी रानी ने पूरी की अपनी जिम्मेदारी,
वह बनी माँ एक राजकुमार की,
राजकुमार और राजकुमारी,
लिव-इन माता पिता की देख रेख मैं,
बचपन से ही रहने लगे लिव-इन रिलेशनशिप मैं.
भारत के पहला लिव-इन परिवार,
देखे कौन तोड़ता हैं इन का रिकार्ड,
कब बनेगा नया रिकार्ड?
तीन राजा और तीन रानी,
एक लिव-इन रिलेशनशिप मैं.
तरक्की के सबूत
दोस्त ने दोस्त का किया अपहरण,
मार दिया उसको,
पैसे न मिलने पर.
प्रेमी या पति,
विकट समस्या,
उलझन मैं पड़ी भारतीय नारी,
उन्नत पातिव्रत धर्म काम आया,
प्रेमी के साथ मिल कर,
पति का गला दबाया.
चेटिंग इंटरनेट पर मज़ा दे गई,
एक लड़की से दोस्ती हो गई.
दोस्ती बदल गई प्यार मैं,
फ़िर और मजा आया,
प्यार मैं सेक्स मिलाया,
मिलने का प्रोग्राम बनाया,
होटल मैं मिलेंगें,
खूब मजे करेंगे,
सर चकरा गया,
कुछ समझ नहीं आया,
कमरे के अन्दर,
भाई ने बहन को,
बहन ने भाई को खड़ा पाया.
दिल्ली जल बोर्ड
गन्दा पीला पानी बाहर आया,
लोगों ने शिकायत की,
अखबारों ने ख़बर छापी,
दिल्ली जल बोर्ड ने,
सीवर सिस्टम पर इल्जाम लगाया,
गन्दा पानी अभी भी आ रहा है.
मैंने दिल्ली जल बोर्ड की वेबसाईट खोली,
सीवर सिस्टम को बोर्ड का एक हिस्सा पाया,
वाह,
मान गए बोर्ड चेयरमैन को,
पानी के लिए सीवर पर,
सीवर के लिए पानी पर,
इल्जाम लगाते रहो,
जनता को वेबकूफ़ बनते रहो.
हमने शर्म से सर झुका लिया
फ़िर भी छपते हैं उनके फोटो,
सरकारी विज्ञापनों मैं.
उनकी पार्टी के एक नेता ने,
किया खुलासा,
वह सरकार मैं नहीं हैं,
वह ख़ुद ही सरकार हैं.
राष्ट्रपति उनकी,
उपराष्ट्रपति उनके,
प्रधान मंत्री उनके,
देश उनका,
देश की जनता उनकी,
वह सबमें व्याप्त है,
सारा देश और जनता उनमें व्याप्त है.
तिरंगे पर चक्र की जगह,
छापना चाहिए था फोटो उनका,
नोटों पर उनका फोटो,
सिक्कों पर उनका फोटो,
मुहर पर एक शेर की जगह उनका फोटो,
यह सब करके भी देश उनका ऋणी रहेगा,
और आप बात करते हैं विज्ञापनों मैं उनके फोटो की,
हमने शर्म से सर झुका लिया.
Wednesday, 30 January 2008
अँधा बांटे रेबड़ी अपने अपनों को दे
बचपन मैं सुनी थी कहाबत,
चरितार्थ की नेताओं ने,
अटल जी रहे ६ वर्ष प्रधान मंत्री,
विरोधी भी करते रहे तारीफ़,
पर सरकार ने कहा अपने नहीं हैं न
इसलिए नहीं दे सकते भारत रत्न,
प्रणब को कैसे दे दिया पद्म विभूषण?
वह अपने हैं न.
अच्छा तमाशा हुआ
बन्दर कहने के इल्जाम से,
सजा मिली 'माँ की' गाली देने की,
अजीब हैं यह आस्टे्लियँस
बन्दर कहने पर बुरा मान गए
'माँ की' गाली पर खुश हैं.
जज ने कहा
साइमंड्स ने पहले गाली दी थी
भज्जी ने जबाब मैं दी गाली
पर सजा मिली भज्जी को
साइमंड्स साफ बच गया
अजीब इन्साफ है यह.
कभी लगता है
अच्छा तमाशा हुआ
सुनवाई बाद मैं
फ़ैसला पहले तय हुआ
मामला पैसे का था
पैसे ने करवा दी सुलह
एक दिवसीय मैच होंगे अब.
दिल्ली से गुड़गॉव
दिल्ली से गुड़गॉव लगेंगे १५ से २० मिनट
पहले तो फीता इंतज़ार करता रहा नेता का
फ़िर टोल पर लगने लगी लाइनें
समय अभी भी लगता है १५ से २० मिनट
पर टोल पर रुकते हैं एक घंटा.
मानहु एक भगति कर नाता
कहे रघुपति सुन भामिनी बाता,
मानहु एक भगति कर नाता.
शबरी की कहानी रामायण के अरण्य काण्ड मैं आती है. वह भीलराज की अकेली पुत्री थी. जाति प्रथा के आधार पर वह एक निम्न जाति मैं पैदा हुई थी. विवाह मैं उनके होने वाले पति ने अनेक जानवरों को मारने के लिए मंगवाया. इससे दुखी होकर उन्होंने विवाह से इनकार कर दिया. फिर वह अपने पिता का घर त्यागकर जंगल मैं चली गई और वहाँ ऋषि मतंग के आश्रम मैं शरण ली. ऋषि मतंग ने उन्हें अपनी शिष्या स्वीकार कर लिया. इसका भारी विरोध हुआ. दूसरे ऋषि इस बात के लिए तैयार नहीं थे कि किसी निम्न जाति की स्त्री को कोई ऋषि अपनी शिष्या बनाये. ऋषि मतंग ने इस विरोध की परवाह नहीं की. ऋषि समाज ने उनका वहिष्कार कर दिया और ऋषि मतंग ने उसे सहर्ष स्वीकार कर लिया.
ऋषि मतंग जब परम धाम को जाने लगे तब उन्होंने शबरी को उपदेश किया कि वह परमात्मा मैं अपना ध्यान और विश्वास बनाये रखें. उन्होंने कहा कि परमात्मा सबसे प्रेम करते हैं. उनके लिए कोई इंसान उच्च या निम्न जाति का नहीं है. उनके लिए सब समान हैं. फिर उन्होंने शबरी को बताया कि एक दिन प्रभु राम उनके द्वार पर आयेंगे.
ऋषि मतंग के स्वर्गवास के बाद शबरी ईश्वर भजन मैं लगी रही और प्रभु राम के आने की प्रतीक्षा करती रहीं. लोग उन्हें भला बुरा कहते, उनकी हँसी उड़ाते पर वह परवाह नहीं करती. उनकी आंखें बस प्रभु राम का ही रास्ता देखती रहतीं. और एक दिन प्रभु राम उनके दरवाजे पर आ गए.
शबरी धन्य हो गयीं. उनका ध्यान और विश्वास उनके इष्टदेव को उनके द्वार तक खींच लाया. भगवान् भक्त के वश मैं हैं यह उन्होंने साबित कर दिखाया. उन्होंने प्रभु राम को अपने झूठे फल खिलाये और दयामय प्रभु ने उन्हें स्वाद लेकर खाया. फ़िर वह प्रभु के आदेशानुसार प्रभुधाम को चली गयीं.
शबरी की कहानी से क्या शिक्षा मिलती है? आइये इस पर विचार करें. कोई जन्म से ऊंचा या नीचा नहीं होता. व्यक्ति के कर्म उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं. ब्राहमण परिवार मैं जन्मे ऋषि ईश्वर का दर्शन तक न कर सके पर निम्न जाति मैं जन्मीं शबरी के घर ईश्वर ख़ुद चलकर आए और झूठे फल खाए. हम किस परिवार मैं जन्म लेंगे इस पर हमारा कोई अधिकार नहीं हैं पर हम क्या कर्म करें इस पर हमारा पूरा अधिकार है. जिस काम पर हमारा कोई अधिकार ही नहीं हैं वह हमारी जाति का कारण कैसे हो सकता है. व्यक्ति की जाति उसके कर्म से ही तय होती है, ऐसा भगवान् ख़ुद कहते हैं.
प्रभु राम ने शबरी को भामिनी कह कर संबोधित किया. भामिनी शब्द एक अत्यन्त आदरणीय नारी के लिए प्रयोग किया जाता है. प्रभु राम ने कहा की हे भामिनी सुनो मैं केवल प्रेम के रिश्ते को मानता हूँ. तुम कौन हो, तुम किस परिवार मैं पैदा हुईं, तुम्हारी जाति क्या है, यह सब मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता. तुम्हारा मेरे प्रति प्रेम ही मुझे तम्हारे द्वार पर लेकर आया है.
जो लोग स्त्रियों को अपशब्द कहते हैं, जाति को आधार बनाकर दूसरों के साथ ग़लत व्यवहार करते हैं, उन पर अत्याचार करते हैं, वह प्रभु राम के अपराधी हैं. यदि हम यह चाहते हैं कि प्रभु राम हमसे प्रसन्न हों तब हमें सब मनुष्यों के साथ प्रेम का रिश्ता बनाना होगा. हर इंसान मैं हमें प्रभु राम का रूप दिखाई देना चाहिए.
यात्रा नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता
एक गाँव मैं एक आदमी आया,
गाँव के बाहर पेढ़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठ गया,
हिन्दुओं ने समझा कोई संत हैं,
मुसलमानो ने समझा कोई फकीर हैं,
पंडितजी आए, मौलाना आए,
'आप गाँव के मेहमान हैं',
'क्या सेवा करे आपकी',
'प्यासा हूं पानी पिला दो, भूखा हूं खाना खिला दो',
पंडितजी बोले अभी लाये,
मौलाना बोले अभी लाये,
मेहमान ने कहा 'एक बात का ध्यान रखना,
जो पानी और खाना हिंदू लाये उसमे न लगा हो हाथ गैर हिन्दू का,
ऐसे ही ध्यान रखे मुसलमान,
जो पानी और खाना वह लाये उसमे न लगा हो हाथ गैर मुसलमान का,
लोग चकरा गए,
ऐसे कैसे हो सकता है,
यह गारंटी कैसे दी जा सकती है,
पानी एक है, धूप एक है, हवा एक है,
खेतो मैं हाथ लगा है सब का,
किसने बनाये बर्तन भांडे,
किसने आटा पीसा,
हाथ जोढ़ कर बोले दोनों,
शर्त कठिन है इसे हटाओ.
मेहमान ने कहा या तो मेरी शर्त मानो,
या मैं तुम्हारे गाँव से भूखा जाऊंगा,
पंडितजी ने कहा हमे छमा करो,
मौलाना ने कहा हमे माफ़ करो,
मेहमान ने कहा,
जब सब कुछ एक है तो तुम कैसे अलग हो,
तुम हिन्दू, यह मुसलमान,
क्या नहीं रहे तुम इंसान?
धरम पर करो बंद हिंसा,
दोनों मिलकर पानी लाओ,
दोनों मिलकर खाना लाओ,
यही हुआ,
मेहमान ने खुशी से खाना खाया और पानी पिया,
सबके लिए दुआ की और अगले गाँव चला गया.
कहानी कहती है,
उस गाँव मैं फिर धरम के ऊपर फसाद नहीं हुआ.
जितनी उसकी व्यथा मौन हैं उतना मेरा प्रेम मुखर है
प्रथम मिलन की मीठी यादें अब तक भूल नहीं पाया मैं
ऐसा क्या घट गया बीच मैं की हो गया पराया अब मैं
जितना दूर गई वह मुझसे उतना मन खिंच रहा उधर है
कैसे मैं विश्वास दिलाऊं प्रेम बांटने से बढ़ता है
मन का मौन मुखर हो उठता, दर्द बताने से घटता है
अन्दर अन्दर घुमड़ घुमड़ कर वह सब खोया जो बाहर है
जीवन एक अनवूझ पहेली वूझ वूझ कर हार गए सब
मृत्यु खड़ी हो जाए आकर द्वार किसी के न जाने कब?
जितने बिता प्रेम मैं पाए उतने क्षण हो गए अमर हैं
जितनी उसकी व्यथा मौन हैं उतना मेरा प्रेम मुखर है