अपने ब्लाग 'वो जो चुप न रह सका' पर ब्लाग के सूत्रधार विश्व ने एक लेख लिखा है - 'आप सड़ें चाहे गलें, लेकिन हमारा साथ छोड़ा तो मिटा देंगे'. इन की प्रोफाइल बस इतना बताती है कि यह दिल्ली से हैं. यह हिन्दुओं और हिंदू धर्म से बहुत नाराज हैं. बहुत कुछ लिखा है इन्होनें. कुछ बातों पर मैंने अपनी राय दी है. वह राय मैं यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ.
"हिंदू धर्म को किसी रक्षक की जरूरत नहीं है. यह तो सनातन धर्म है. इसका न आदि है न अंत. यह तो तब भी था जब ईसाई धर्म नहीं था, इस्लाम नहीं था, और बहुत से धर्म नहीं थे. ईसाइयों ने कितने समय तक इस देश पर राज्य किया, पर सारे हिन्दुओं का धर्म नहीं बदल पाये. मुसलमानों ने भी लंबे समय तक इस देश पर राज्य किया, पर सारे हिन्दुओं का धर्म नहीं बदल पाये.
किसी भी व्यक्ति को कोई भी धर्म छोड़ कर दूसरा धर्म अपनाने से नहीं रोका जा सकता, पर उसे धमका कर या प्रलोभन देकर इस के लिए तैयार करना ग़लत है. अगर किसी को सहायता चाहिए तो क्या उसे यह कहना चाहिए कि हम तुम्हारी सहायता करेंगे, पर उस के लिए तुम्हें अपना धर्म बदलना होगा और हमारा धर्म अपनाना होगा. हमारा धर्म तुम्हारे धर्म से अच्छा है, हमारा ईश्वर तुम्हारे ईश्वर से अच्छा है, इस विचारधारा का आप समर्थन करते हैं. मेरे विचार में यह एक प्रकार का आतंकवाद है. इस का समर्थन नहीं, इस का विरोध किया जाना चाहिए.
किसी धामिक स्थान पर हमला करना ग़लत है. चर्चों पर हो रहे हमले ग़लत हैं. पर सिर्फ़ इसी की निंदा करना भी ग़लत है. ईसाई जो कर रहे हैं उस की भी निंदा की जानी चाहिए. आपका यह पक्षपात रवैया भी निंदा के योग्य है. यह बात भी मत भूलिए कि जब इस देश पर ईसाई और मुसलमान राज्य कर रहे थे तब कितने ही मन्दिर लूटे गए, ध्वस्त कर दिए गए. यह आज भी हो रहा है. हर हिंदू का मन एक मन्दिर है, उस से उस हिन्दू के भगवान् की मूर्ती हटा कर अपने ईश्वर की मूर्ती स्थापित करना, मन्दिर पर हमला है. इस की निंदा कीजिए. जिन ईसाइयों की बात आप कर रहे हैं उन से कहिये कि इस देश में उन्हें अपने धर्म के अनुसार आचरण करने की पूरी आजादी है, पर यह आजादी हिंदू धर्म में अतिक्रमण करने के लिए नहीं है. हिंदू शांतिप्रिय हैं, इस का मतलब यह नहीं है कि वह सब कुछ बर्दाश्त कर लेंगे. कारण की निंदा कीजिए. केवल परिणाम की निंदा करने से समस्या हल नहीं होगी. ईसाई इस देश का हिस्सा हैं. मिलजुल कर रहें. हिंदू धर्म में अतिक्रमण करना बंद कर दें."
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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5 comments:
Bharat ek secular desh hai jahan sab dharmon ke liye samman hai. parantu aajkal ek fashion ho gaya hai ki hindu ya hindu dharm ki khilafat karo to aap secular mane jayenge. Hinduon ko kitne samay tak aur dabaya ja sakta hai.lagatar unki bhavnaon ko dabane ka hi to parinam hai ki ve bhi ab jyada ugra hone lage hain. sab apne apne dharmon ko mane aur dusaron ke dharm ka samman karen. dharm parivartan ki ninda nahin karenge tatha aisa karne walon par hamle ki ninda karenge to kaise chalega? aapne jo bhi likha hai vah bilkul sahi hai.
आप ने बिलकुल सही लिखा हे
धन्यवाद
"bhut shee likha hai aapne, ab traju ke dono paldey brabr ho tabhee bata bntee hai, ya khen kee talee bhee ek hatrh se nahee bjtee, "
Regards
और चुप रहें भी क्यूं?
ये तो हमारा देश ही है जहां हर ऐरे-गैरे को भौंकने (अपशब्द के लिए क्षमा चाहता हूं) की आजादी है, ये लोग जहां की बात करते हैं, वहां दो दिन ना काट पाएं।
KYA APKE PAAS APNE DALIT/ PICHHADE BHAI KE LIYE BHI SAMMAN HAI. YADI HAI TO PHIR AYE DIN UNAKE SATH NANGA NAACH KYON. KYON UNAKI BAHU-BETIYON KO JINDA DAPHAN KIYA JA RAHA HAI. AAJ BHI KAI JAGAH SAMMAN SE RAH NAHI SAKATE, PAHAN NAHI SAKATE, MANDIR NAHI JA SAKATE. KIS BHAGAWAN KI BAAT KARATE HAI, JAHAN UNCH NEECH DEKH KAR PRAVESH HAI. AGAR APANE BHAI KE PRATI AISI SONCH HAI TO BHAI KYA KARE, KYA VAHIN MARATA RAHE YA SAMMAN SE JINE KA PYAYATN KARE. KYON KOI AWAAJ GAIR BARABARI KE KHILAPH NAHI UTATHI HAI. KYA KOI ANDOLAN ISAKE KHILAPH CHAL RAHA HAI. SAYAD NAHIN. AAP CHUP MAT RAHIYE, LEKIN ANYAY KE KHILAPH, JO APANE HI BHAI PAR DALA JA RAHA HAI. KYA APME IN HINDU DHARM KI KURITIYO KO KHATM KARANE KI MUHIM CHALANE KI HIMMAT HAI. KOI KYON APANA GHAR CHODE YADI VAHIN UNHE SAMMAN SE JINE KO MILE?
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