इस देश में कुछ भी हो सकता है। इस देश में जनता के कातिलों की खुल्लमखुल्ला हिमायत की जा सकती है। अगर पुलिस बम धमाकों के बाद कुछ लोगों को गिताफ्तार करती है तो इस देश में जनता के पैसे से उन को कानूनी मदद दी जा सकती है। एक वाइस चांसलर अपराधियों की हिमायत करता है, सरकार उस का समर्थन करती है। कोई यह नहीं सोचता कि इस से आतंकवादियों को बढ़ाबा मिलेगा। आतंकवादी पहले ही इस सरकार की उनके प्रति नरम नीति से उत्साहित हें। इस के बाद तो वह और उत्साहित हो जायेंगे। चलो बम धमाके करें, बैसे तो पकड़े नहीं जायेंगे और अगर पकड़े गए तो इस मुल्क के कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवी और सरकार हमारी तरफ़ से मुकदमा लड़ेगी । वाह री सरकार, और वाह तेरी आतंकवाद से लड़ने की नीति। पहले पुलिस को बोल, मारो या पकड़ो, फ़िर जो पकड़े जाएँ उन्हें बोल घबराओ मत हम तुम्हें बचायेंगे। हम ने अफज़ल को बचाया है, तुम्हें भी बचायेंगे। बस अपने वोट हमें देते रहना।
मैं तो यह मानता हूँ कि बम फटे और लोग मरे। ऐसा इस देश के और भी बहुत से लोग मानते हें। अब यह सब किस ने किया यह पता लगाना इस देश की पुलिस की जिम्मेदारी है। पुलिस जो सुराग मिल रहे हैं उन के अनुसार ही काम करेगी. इन सुरागों के आधार पर अगर पुलिस किसी मुसलमान से पूछताछ करेगी या किसी को गिरफ्तार करेगी तो वाइस चांसलर साहब चिल्लाना शुरू कर देंगे। अब क्या करे पुलिस? क्या जो मरे हैं उनके घर वालों को गिरफ्तार कर ले? अगर ऐसा ही चाहते हैं इस देश के मुसलमान बुद्धिजीवी तो उन्हें सरकार पर वोट का दबाब डाल कर एक कानून बनबा देना चाहिए, जिसमें यह घोषित किया जाय कि किसी मुसलमान से किसी भी अपराध के लिए न तो पूछताछ की जायेगी और न ही उसे गिरफ्तार किया जायेगा. मेरे मुस्लिम भाइयों यकीन कीजिए आपके वोटों के लिए छटपटाती यह सरकार यह कानून बनाने के लिए वायदा भी कर लेगी. क्यों न यह सरकार एक आतंकवादी सुरक्षा कमीशन भी बना दे और इन वाइस चांसलर साहब को उसका चेयरमेन बना दे? आतंकवादी और उनके समर्थक ही तो इस देश के असली नागरिक हैं. बाकी सब तो कीड़े मकोड़े हैं जिन्हें जब चाहा बम से उड़ा दिया.
जो हाथ बम बनाता है, जो हाथ उसे प्लांट करता है, जो हाथ उसका विस्फोट करता है, जो हाथ यह करने वालों की पीठ थपथपाता है, जो हाथ उनके समर्थन में उठ कर नारे लगता है, यह सारे हाथ आतंकवादियों के हाथ हैं. इस देश के नागरिकों को अब यह तय करना है कि इन हाथों को काट दिया जाय या इन हाथों से अपने हाथ मिला लिए जाएँ. फ़ैसला आपका है और आपको ही करना है.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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2 comments:
ये आतंकवादी नही है ये तो काग्रेसी दमाद है इन्हे हर वो सहुलियत मीलेगी
जो दमाद को मीला करता है पब्लिक मरता है तो अपने सुरक्षा का जिम्मा खुद ले
सरकार किसी का ठीका नही ले रखा है।
agar vote milne lagen to osama ko rastrapati banane ka bhi nirnaya liya ja sakta hai dharmnirpekshon dwara
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