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पिछली साल में आज के दिन नोयडा में हल्दीराम में गया था. सारी मेजें भरी थीं. खूब शोर मच रहा था. मैंने पूछा यह सब क्या है? मेरे साथी ने बताया, 'आज टीचर्स डे है. आज टीचर्स की पूजा होती है. देखो न स्टूडेंट्स कैसे दौड़-दौड़ कर टीचर्स के लिए खाने की चीजें ला रहे हैं'. आज तो मैं वहां नहीं गया पर मुझे विश्वास है कि वहां आज भी ऐसा ही हो रहा होगा.
मेरी पोती के स्कूल में आज फंक्शन है. बच्चे टीचर्स की शान में गीत गायेंगे और नाटक खेलेंगे. मेरी पोती भी एक गीत गाएगी. उसे में अभी स्कूल पहुँचा कर आया हूँ. बच्चे बहुत उत्साहित लगे. टीचर्स के चेहरे पर ऐसा कोई विशेष उत्साह नजर नहीं आया. बैसे भी सारे साल टीचर्स थकी-थकी सी लगती हैं. सच कहूं तो वह टीचर्स कम, किसी शिक्षा की फेक्ट्री की कर्मचारी ज्यादा नजर आती हैं. पुरूष टीचर्स तो किसी तरह से टीचर लगते ही नहीं. कुछ को देख कर तो डर लगता है.
बहुत पहले, करीब तीस साल पहले, इमरजेंसी से पहले, की बात है. एक टीचर सुबह दूध सप्लाई करते थे. मैं भी उन से दूध लेता था. एक दिन उन्होंने बताया कि उन का तबादला पास के स्कूल में हो गया है. हम सबने वधाई दी. वह कहने लगे, 'साला प्रिंसिपल ज्वाइन नहीं करने दे रहा. उस के एक चमचे कि जगह आया हूँ मैं'. कुछ दिन बाद दूध के साथ उन्होंने लड्डू भी दिया. पता चला कि उन्होंने ज्वाइन कर लिया है. फ़िर पूछने पर उन्होंने बताया, 'मैंने चोकीदार को पटाया, उसने प्रिंसिपल के आफिस की खिड़की खुली रखी. मैं सुबह खिड़की से अन्दर दाखिल हुआ और हाजरी रजिस्टर में हाजरी लगा दी. जब प्रिंसिपल आया तो बहुत झल्लाया पर क्या कर सकता था, मैंने तो ज्वाइन कर लिया था,साले का मुहं देखने लायक था'.
इस से भी पहले की बात है. मैं देहरादून में सर्विस करता था. एक टीचर हमारे पास के मकान में रहते थे. एक दिन हम दोस्तों ने एक पार्टी रखी, उन्हें भी बुलाया. उन्होंने कुछ ज्यादा ही पी ली और अपनी गाथा ले कर शुरू हो गए. जिस बात पर वह ज्यादा जोर दे रहे थे, वह थी कि उन्हें कच्ची कलियों का रस पीने का शौक है. मजे की बात यह है कि बच्चे और उनके अविभावक उन्हें गुरु जी कहते थे.
हमारे बचपन के एक साथी टीचर बन गए. सब उन्हें मास्टर जी कहते थे. वह स्कूल में कम और घर में ज्यादा पढ़ाते थे. जो घर में उन से नहीं पढ़ता था फेल हो जाता था. शहर में उनकी बहुत इज्जत थी. पैसे कमाने के मामले में भी वह हम सब साथियों से आगे थे.
आज टीचर्स डे है. हमारे इन सब टीचर्स की पूजा हो रही होगी.
नोट - सब टीचर्स ऐसे नहीं होते. कुछ अच्छे टीचर्स भी होते हैं. आप जरूर ही अच्छे टीचर होंगे. आपको मेरा प्रणाम.
5 comments:
आपको अध्यापक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
achcha likhte hain aap hamesha ki tarah
शिक्षक दिवस के अवसर पर समस्त गुरुजनों का हार्दिक अभिनन्दन एवं नमन.
चाहे जितना हम अपनी शैक्षिक प्रणाली को कोस् ले उसके बावजूद हर क्षेत्र में सफल व्यक्ति के पीछे एक शिक्षक की भूमिका देखी जा सकती है । एक स्कूल में तमाम तरह के संसाधनों के बावजूद एक शिक्षक के न होने पर वह स्कूल नहीं चल सकता है । दुनिया में ऐसे हजारों उदाहरण हैं, और रोज ऐसे हजारों उदाहरण गढे जा रहे हैं ,जंहा बिना संसाधनों के शिक्षक आज भी अपने बच्चों को गढ़ने में लगे हैं । वास्तव में आज के प्रदूषित परिवेश में यह कार्य समाज में आई गिरावट के बावजूद हो रहा है ,इसे तो दुनिया का हर निराशावादी व्यक्ति को भी मानना पड़ेगा ।
http://primarykamaster.blogspot.com/
प्रवीण जी, अपवाद तो हर जगह होते हैं. अगर सारे शिक्षक ख़राब हो गए होते तो स्थिति बहुत भयावह हो गई होती. इस की कल्पना करके ही मन घबराता है. पर यह एक निर्वाद तथ्य है कि शिक्षकों का एक बहुत बड़ा प्रतिशत शिक्षकों के नाम पर एक धब्बा है. मैंने एक जैन आचार्य का प्रवचन सुना था. शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी प्राप्त करने के लिए प्रमाणपत्र लेना नहीं है. जीवन कैसे जीना है, यह कौन सिखायेगा? आज कल के शिक्षक तो बस पाठ्यक्रम पूरा करने का औचित्य ही निभाते हैं. गुरु-शिष्य की परम्परा तो पूरी तरह से नष्ट हो गई है.
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