दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Tuesday, 23 September 2008

एक ख़त आतंकियों के नाम

मेरे प्यारे आतंकियों,

मैं हिन्दुस्तान का एक आम नागरिक हूँ, पर आपका एक बहुत बड़ा पंखा हूँ. मेरा मन हर समय आपकी तारीफ़ करने को करता है. शैतान में ईमान रखने वाले आप आतंकवादियों ने खूब जमके बेबकूफ बना रखा है खुदा में ईमान रखने वालों को. वह यह समझते हैं कि आप उनके लिए जिहाद कर रहे हैं, जब कि आप तो उनका ही जिहाद कर रहे हैं. एहमदाबाद, बंगलौर, हेदराबाद, जयपुर, दिल्ली,जहाँ भी आपने बम धमाके किए, खुदा के बन्दे भी उस में मारे गए. दरअसल आपने बम विस्फोट करने की अपनी तकनीक में काफ़ी सुधार किया है, पर आप असली सुधार करना भूल गए. जरा बम को भी कह देते कि वह फटने से पहले यह पता करले कि आप पास कोई खुदा का बंदा तो नहीं है. पर आप यह नहीं चाहते न. आप को तो बस दहशत फैलानी है. निर्दोष नागरिकों को मारना है, चाहे वह हिंदू हो, मुसलमान हो, सिख या ईसाई हो. आप तो शैतान की हकूमत कायम करना चाहते हैं और इस के लिए खुदा के बन्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं और वह बहुत खुशी के साथ इस्तेमाल हो रहे हैं. आपकी इसी सफलता ने तो मुझे आपका पंखा बना दिया है.

बाहर से आप नेताओं, उन की सरकार और उन की पुलिस को गालियाँ देते हैं, जबकि अन्दर से आप और वह एक है. आप के मकसद अलग हो सकते हैं पर नतीजा एक है - निर्दोष आम आदमियों की मौत. आप भी नफरत का कारोबार करते हैं और वह भी. फर्क सिर्फ़ इतना है कि आप शैतान की हकूमत कायम करना चाहते हैं और वह अपनी हकूमत बनाये रखना चाहते हैं. आपने आज तक इतने धमाके किए पर क्या कभी कोई नेता मरा आपके हाथों? आप इन से दुश्मनी दिखाते हैं पर आम आदमी से दुश्मनी निभाते हैं. यही आपकी सब से बड़ी दूसरी सफलता है. इस के लिए भी आपको मेरी वधाई.

अब मैं आपको एक सलाह देना चाहूँगा. आप क्यों अपने हाथ आम आदमी के खून से रंगते हैं? अरे भाई अक्सर ब्लू लाइन आम आदमी को कुचल देती है. कोई न कोई आम आदमी अक्सर बीआरटी कारडोर में अपनी जान गवां देता है. कभी कोई बीएम्अब्लू किसी आम आदमी को कुचल कर निकल जाती है. कभी पुलिस किसी आम आदमी का एनकाउन्टर कर देती है. कभी उसे थाने में पीट कर मार डालती है. कभी कोई पति अपनी प्रेमिका के साथ मिलकर अपनी पत्नी की हत्या कर देता है. कभी कोई जागरूक पत्नी अपने प्रेमी के साथ मिल कर अपने पति की हत्या कर देती है. कभी कोई मर्द अपनी मर्दानगी साबित करने के लिए किसी बच्ची पर बलात्कार करके उसे मार डालता है. आज कल तो बच्चे भी कत्ल करने लगे हैं. आज कल बाढ़ आम आदमी का संहार कर रही है. मतलब मेरा यह है कि रोज ही कितने आम आदमी मर जाते हैं या मार डाले जाते हैं. अगर आप रोज एक ऐ-मेल भेज कर इन मौतों का क्रेडिट ख़ुद ले लिया करें तो आपके हाथ खून से रंगने से बच जायेंगे, और आम आदमियों को मारने का आपका मकसद भी पूरा हो जायेगा. शैतान की हकूमत लाने को तो तो इस देश की सरकार, नेता और खास आदमी ही रात-दिन एक कर रहे हैं. अब तो धीरे-धीरे आम आदमी भी उन की मुहीम में शामिल होता जा रहा है. आप क्यों परेशान होते हैं?

आपके फेवर में एक बात और है. शैतान तो एक है पर खुदा बहुत सारे हो गए हैं. हिन्दुओं का भगवान, मुसलमानों का अल्लाह, ईसाइयों का खुदा और न जाने कितने. यह ख़ुद ही आपस में लड़ मर रहे हैं. कुछ लोग अपने खुदा के लिए रिक्रूटमेंट करने में भी लगे हैं. दूसरों का धर्म बदलने के लिए रात-दिन एक कर रहे हैं. कुछ लोग इस धर्म परिवर्तन के ख़िलाफ़ रात-दिन एक कर रहे हैं. कितनी जानें इसी में चली जाती हैं. आपके शैतान को तो मुफ्त में वालंटीयर मिल रहे हैं. आप आराम से अपने घर बैठो, इन्टरनेट पर मजे करो. आपका काम तो यह लोग ही कर देंगे.

4 comments:

seema gupta said...

" bhut shee khat likha hai aatankvadeeyon ke naam, apan dharam, eman sub bech kr baiten hain ye kuch to sharam aaye inko"

Regards

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

sateek shabdon men bayan ki hai bharat ki durdasha, lekin baatein inhe kahan samajh men aati hain?

राज भाटिय़ा said...

आप का पत्र इन की आंखे खोल दे काश... बहुत ही सुन्दर ढग से आप ने लिखा हे.... शेतान तो एक ही ......
धन्यवाद

Shastri JC Philip said...

बहुत सरल लेकिन सशक्त व्यंग!!

-- शास्त्री

-- हिन्दीजगत में एक वैचारिक क्राति की जरूरत है. महज 10 साल में हिन्दी चिट्ठे यह कार्य कर सकते हैं. अत: नियमित रूप से लिखते रहें, एवं टिपिया कर साथियों को प्रोत्साहित करते रहें. (सारथी: http://www.Sarathi.info)