दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Sunday 21 September, 2008

थोड़ा जोश आया था पर ..............

दिल्ली ब्लास्ट के बाद जब जनता बहुत भड़क उठी, और लगा भाजपा वाले फायदा उठा रहे हैं, तो कांग्रेस सरकार को थोड़ा जोश आने का नाटक करना पड़ा. पर वह नाटकीय जोश तुंरत ही ठंडा भी हो गया. दिल्ली पुलिस ने कुछ आतंकवादियों को मार दिया, कुछ को पकड़ लिया, सरकार ने क्रेडिट की माला अपने गले में डाल ली. शर्मा जी बेचारे शहीद हो गए. कांग्रेसी बिना शहीद हुए महान हो गए. कुछ दिन तक चिल्लाये कि पोटा जैसा कानून बनेगा, पर अब इस की जरूरत नहीं रही. अब चिल्ला रहे हैं कि देखा हमने आतंकवाद का सफाया कर दिया. पाटिल जी ने नए सूट का आर्डर कर दिया. मनु सिघवी जीवन में इतना खुश कभी नहीं दिखे. शर्मा जी ने मर कर पाटिल और कांग्रेस को जिदगी दे दी.

मैं सोचता हूँ कि अगर शर्मा जी शहीद न हुए होते तो दिल्ली पुलिस के इस एनकाउन्टर की तो बखिया ही उधेड़ दी थी लोकल मुस्लिम निवासियों, उन के नेताओं और मीडिया ने. अब समय बतायेगा कि यह स्वभाव से एहसानफरामोश नेता शर्मा जी के परिवार से कितनी सहानुभूति रखते हैं. पार्लियामेन्ट हमले में इन नेताओं को बचाने के लिए जिन्होनें अपनी जान दे दी थी, उनके परिवार वालों का तो जम कर अपमान किया इन एहसानफरामोश नेताओं ने.

एक सिक्के के दो पहलू हैं यह आतंकवादी और यह नेता. मकसद दोनों का एक है, आम आदमी में परस्पर नफरत पैदा करो. उन्हें आपस में लड़ाओ. अपना स्वार्थ सिद्ध करो. वह मारते हैं, यह मारने देते हैं. क्या आपको लगता है कि कभी कोई नेता आतंकवादियों के हाथों मरेगा? मुझे तो ऐसा नहीं लगता.

5 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

सही विचार प्रेषित किए हैं।

अनुनाद सिंह said...

कांग्रेस के मनोविज्ञान का सटीक चित्रण किया है। यही बात हिन्दी अन्तरजाल के अघोषित जिहाद समर्थकों का है। जब तक जिहादी पकड़ में नही आते हैं तब तक वे भारत और हिन्दुओं के विरुद्ध लिखते रहते हैं। जैसे ही जिहादी कोई बम धमाका करते हैं, पकड़े जाते हैं या रहस्य का खुलासा होता है - ये लोग बासी गजल, कविता, गीत, आदि परोसकर लोगों का दिल बहलाने और घटना की लीपापोती की कोशिश में लग जाते हैं। इनको बे-पर्दा करना बहुत जरूरी है।

राज भाटिय़ा said...

सुरेश जी बहुत ही सटीक लेख , ओर मे अनुनाद सिंह जी की बात से सहमत हु.
धन्यवाद

Advocate Rashmi saurana said...

ha thik kaha hai aapne.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

ab bajrang dal par pratibandh lagakar balance kar denge raajniti ko, ajamgarh men patrakaron par hamle! muslimon ka hidden agenda sabke saamne hai, jo kaam saikdon saalon ki gulami na kar payi wo 60 saal ke loktantra ne kar diya