दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Monday, 15 September 2008

गाँधी जी के तीन बन्दर - नए अवतार में

गाँधी जी के तीन बंदरों ने नया अवतार लिया है। आप भी प्रणाम करें इस अवतार को और स्वयं को धन्य करें। इस से आपको आतंक से छुटकारा मिलेगा।
टीओआई से साभार

10 comments:

विवेक सिंह said...

यही सच्चाई है .मज़ाक नहीं .

Anil Pusadkar said...

dhanya ho gupta ji.pranam karta hun aapki khoj ko

संजय बेंगाणी said...

अरे यही तो सत्य है, कोई मजाक नहीं.

डॉ .अनुराग said...

kisne kaha ye majak hai ?

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

napunsak logon ke liye, napunsakon dwara, napunsakon kii sarkar hai, yeh to hona hi tha

Udan Tashtari said...

एकदम सटीक!!

राज भाटिय़ा said...

यह आज के बन्दर हे, अजी यह मजाक नही सच हे.
धन्यवाद

Anonymous said...

Yes, these three monkeys have really hijacked this country.

Anonymous said...

aaj ki duniya me saflta ki bulndiyon par pahuchane ke teen gur hai.samaj me nigah dalo is pakar ke log sabse upar hotehai.--govind goyal sriganganagar

Dr. Manish Kumar Mishra said...

/पिछले २ अक्टूबर २००८ की शाम
गांधीजी के तीन बंदर राज घाट पे आए.
और एक-एक कर गांधी जी से बुदबुदाए,
पहले बंदर ने कहा-
''बापू अब तुम्हारे सत्य और अंहिंसा के हथियार,
किसी काम नही आ रहे हैं ।
इसलिए आज-कल हम भी एके४७ ले कर चल रहे हैं। ''

दूसरे बंदर ने कहा-
''बापू शान्ति के नाम ,
आज कल जो कबूतर छोडे जा रहे हैं,
शाम को वही कबूतर,नेता जी की प्लेट मे नजर आ रहे हैं । ''

तीसरे बंदर ने कहा-
''बापू यह सब देख कर भी,
हम कुछ कर नही पा रहे हैं ।
आख़िर पानी मे रह कर ,
मगरमच्छ से बैर थोड़े ही कर सकते हैं ? ''

तीनो ने फ़िर एक साथ कहा --
''अतः बापू अब हमे माफ़ कर दीजिये,
और सत्य और अंहिंसा की जगह ,कोई दूसरा संदेश दीजिये। ''

इस पर बापू क्रोध मे बोले-
'' अपना काम जारी रखो,
यह समय बदल जाएगा ।
अमन का प्रभात जल्द आयेगा । ''

गाँधी जी की बात मान,
वे बंदर अपना काम करते रहे।
सत्य और अंहिंसा का प्रचार करते रहे ।
लेकिन एक साल के भीतर ही ,
एक भयानक घटना घटी ।
इस २ अक्टूबर २००९ को ,
राजघाट पे उन्ही तीन बंदरो की,
सर कटी लाश मिली ।
Posted by DR.MANISH KUMAR MISHRA at 08:03 0 comments
Labels: hindi kavita. hasya vyang poet, गाँधी जी के तीन बंदर
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