सुबह होते होते,
शहर में हड़कंप मच गया,
लोग जमा होने लगे दौराहों पर,
तिराहों और चौराहों पर.
कचहरी की इमारत के नीचे,
जहाँ 'सत्यमेव जयते' लिखा है,
एक आदमी निश्चल लेटा हुआ है,
लोग एक दूसरे से पूँछ रहे हैं,
'मर गया क्या?',
'कौन है?',
'कहाँ से आया है?',
सवाल बढ़ने लगे,
सवालों के साथ लोग बढ़ने लगे,
एक भीड़ में बदलने लगे,
पुलिस वाले विस्तरों से बाहर निकल आए,
आदतन भीड़ को तितर-वितर करने लगे,
लाठी भांजने लगे,
सीधा-सादा सवाल बदल गया झगड़े में,
व्यवस्था और कानून वनाम भीड़ का जूनून,
'पुलिस हाय-हाय',
सत्ता के दलाल लगे नाश्ता करने,
जाति, धर्म, भाषा, नफरत,
गोली चली, शहर में कर्फ्यू लगा,
दूसरी सुबह के अखवार में ख़बर आई,
एक अनजान आदमी मर गया,
उस का फोटो देखा तो में चौंक गया,
यह तो वही है,
मैं जानता हूँ उसे,
बचपन में साथ खेले थे हम,
बड़े हुए तो विछ्ड़ गए थे,
'सत्य' नाम था उस का.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Wednesday, 10 September 2008
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8 comments:
यह तो वही है,
मैं जानता हूँ उसे,
बचपन में साथ खेले थे हम,
बड़े हुए तो विछ्ड़ गए थे,
'सत्य' नाम था उस का.
बहुत सुंदर लिखा है. बधाई .
दूसरी सुबह के अखवार में ख़बर आई,
एक अनजान आदमी मर गया,
उस का फोटो देखा तो में चौंक गया,
"ah, kitnee bdee trasdee, waqt ne bachpan ke dost ko kya se kya bna diya"
Regards
badhiya likha aapne
सही है गुरुवर ......सही कहा.....
आप ने कितने प्यारे ढंग से एक कडवी बात कह दी, जिस से हम सब आंखे चुरा रहे हे, ओर सच्चा बन रहे हे, सही कहा उस चोराहे पे मरने वाला वो सत्य ही था हम सब के बचपन का साथी
धन्यवाद
बहुत उम्दा!!
अच्छे भाव
बेहतरीन कविता
वीनस केसरी
bahut sundar likha hai satya ke baare men
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