मैं टीवी पर खबरें नहीं देखता। बस अखबार से पता लगती हें मुझे खबरें। आज सुबह जब अखबार देखा तो पता लगा कि न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप ने इस करार पर अपनी स्वीकृति दे दी है। पढ़ कर अच्छा लगा, मन के एक कौने में कुछ गर्व भी अनुभव हुआ। पर तुंरत ही मन के दूसरे कौने से आवाज आई, सावधान। इस मसले पर जो कुछ भी हुआ है, और जिस तरीके से हुआ है, उस से मन में एक अविश्वास की भावना पैदा हो गई है। भारत एक प्रजातांत्रिक देश है और मैं इस देश का एक नागरिक हूँ। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मुझे अपने देश की प्रजातांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार पर भरोसा होना चाहिए, पर न जाने क्यों मुझे ऐसा भरोसा नहीं हो पाता। पूरी कोशिश करता हूँ भरोसा करने की, बाबजूद इसके कि सरकार का मुखिया जनता द्वारा नहीं चुना गया बल्कि एक व्यक्ति द्वारा उस कुर्सी पर बिठाया गया है। पर इस एक बात ने मन में एक कसक पैदा कर दी है। दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातंत्र अपनी सरकार के मुखिया पद के लिए एक ऐसा व्यक्ति नहीं चुन पाया जिसे जनता ने चुना हो। इतनी बड़ी जनसँख्या का प्रजातंत्र सिमट कर एक व्यक्ति की मुट्ठी में बंद हो गया, और वह भी एक ऐसा व्यक्तित्व जो जन्म से भारतीय ही नहीं है।
कभी-कभी मुझे लगता है जैसे भारत फ़िर से गुलाम हो गया है। या भारत तो स्वतंत्र है पर भारत सरकार गुलाम हो गई है.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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5 comments:
सुरेश जी बात आप की बिलकुल सही हे, भगवान ना करे ऎसा हो लेकिन हो तो ऎसा ही रहा हे.... ओर आप का डर सच्चा हे
धन्यवाद
कभी-कभी मुझे लगता है जैसे भारत फ़िर से गुलाम हो गया है। या भारत तो स्वतंत्र है पर भारत सरकार गुलाम हो गई है.
सरकार के भी गुलाम हो जाने से हम नागरिक तो गुलाम हो ही जाएंगे....... डर स्वाभाविक है......... पर जब हमारs ही द्वारा चुने गए लोग दगा दे दें तो हम आप क्या कर सकते हैं ?
हम तक कब उनकी बज़्म में आता था दौर-ए-जाम
साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में।
बिल्कुल ठीक समझा जा रहा है। बिलायतियो ने सोचा होगा के प्रत्यक्ष रुप से शासन करना अब कठिन होगा। ईसलिए अप्रत्यक्ष शासन उनका ही चले इस प्रकार से आजादी दी गई होगी भारत को। अब समाज ईतना बंट चुका है की अब तो क्रांती भी सम्भव नही दिखती है। अगर कोई दिखता है आप को अपने आसपास जो आजादी और स्वराज्य के लिए फिर से क्रांती कर सकता है तो हो लीजिए उसके पीछे, मै भी आ जाउंगा पीछे पीछे।
abhi deal ki asliyat jara khulkar bahar aane de....kuch baate vaise sandehspasd lag rahi hai...
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