मेरे मन में उग आया है,
सवालों का एक जंगल.
कुछ खुशनुमा सवाल,
मन चाहता है जिन्हें जिन्दा रखना,
पर जो सूख जाते हैं जल्दी ही,
वक्त की आंधी के थपेड़े खाकर.
कुछ कटीले,जहरीले सवाल,
मन चाहता है जिन्हें,
तुंरत उखाड़ फेंकना,
पर जो बढ़ते जाते हैं,
सुरसा के मुहं की तरह,
मन समा जाता है जिसमें,
नहीं बाहर आ पाता हनुमान की तरह,
और ख़त्म हो जाती है खोज,
सीता की तरह खोये जबाबों की.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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3 comments:
ये तो सच में सवालों का घेरा है
सवालों का जंजाल है भई
आपकी लिखी अब तक की रचनायों में सबसे अच्छी रचनायों में से एक लगी........
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