समिति की रिपोर्ट आई,
हमारी गर्दन शर्म से झुक गई,
युद्ध स्तर पर चलता निर्माण कार्य,
मजदूरों से युद्ध करते खेल आयोजक,
न्यूनतम वेतन नहीं,
ओवरटाइम का कोई पैसा नहीं,
केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार,
मजदूरों का कर रही हैं शोषण,
अमानवीय परिस्थित्तियों में वाध्य काम करने को,
गरीब बेसहारा मजदूर,
शीला, सोनिया, मनमोहन,
गर्व से तान कर गर्दनें,
बैठे तैयार फीते काटने को,
देश शर्मशार हुआ,
क्या अदालत देगी सजा मुजरिमों को?
विदेशी आते रहे, मुआयना करते रहे,
आयोजकों को तमगे देते रहे,
शोषित मजदूरों की चिंता किसी ने नहीं की,
'फर्स्ट वर्ल्ड' पानी पियेंगे मेहमान,
'सात सितारा' मूत्रालय में करेंगे मूत्रदान,
साझा धन खेलों की शान,
मजदूर होते हैं जानवर समान.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Thursday 18 March, 2010
साझा धन खेल और मजदूरों का शोषण
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1 comment:
कुछ भी नहीं होगा. शोषण यूं ही चलेगा.. टेम्पलेट की बैकग्राऊंड का रंग बदल दें तो थोड़ा और अच्छा लगेगा. गहरे नीले रंग पर सफेद देखने में थोड़ी दिक्कत होती है.
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