दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Wednesday, 17 March 2010

नेता का जन्म दिन और गरीब के बच्चे की मौत

अरे तुम रोटी खा रहे हो,
हमारी नेता का जन्म दिन है भूल गए,
उनका जन्म दिन तो अक्सर आता है बाबू,
कई दिन बाद रोटी मिली है आज,
भूखे हैं बच्चे, खाने दो न,
पिछले जन्म दिन में भी,
छीन ले गए थे तुम सारी मजदूरी,
नेता को हार बना कर पहना दी थी,
हफ्ता भर भूखे रहे थे सब,
क्या मिला तुम्हें?
क्या मिला नेता को?
रामधन का बेटा मर गया था भूख से.
क्या इस बार मेरे बच्चों को मारोगे?

3 comments:

DR. ANWER JAMAL said...

nice.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

सही है. यही होता है, लोग बेवकूफ बनते रहते हैं.

राज भाटिय़ा said...

जनता की दुखती रंग पर आप ने यह कविता लिख दी, बहुत सुंदर जी