
मिलिए उन पुलिस वालों से,
रुकावटें डालीं जिन्होनें न्याय के रास्ते में,जान वूझ कर बरती लापरवाही,
अपना कर्तव्य निभाने में,
दुरूपयोग किया कानून का,
करने को मदद अपराधी पुलिस वाले की,
बदले में मिली तरक्की और सम्मान,
एक कर रहा है जांच सुप्रीम कोर्ट के लिए,
गुजरात के दंगों की,
दूसरा सदस्य है मानवाधिकार आयोग का,
कैसी विडंबना है यह?
जिसने किया मासूम रुचिका के मानवीय अधिकारों का उल्लंघन,
बना बैठा है मानवाधिकार आयोग का सदस्य,
कैसी है यह सरकार?
कैसी है यह न्याय व्यवस्था?
जो सजा देने की जगह,
देती है तरक्की ऐसे लोगों को.