दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Thursday, 14 March 2013

आजादी !!!

मनुष्य,
स्वभाव से स्वतंत्र,
हो जाता है न जाने क्यों,
व्यवहार में परतंत्र |

देता है दोष,
व्यवस्था को, समाज को,
कर देता है अनदेखा,
अनगिनत मकड़ी के जालों को,
बुन लिए हैं जो उसने,
अपने चारों और |

जाले स्वार्थ के,
काम, क्रोध और मोह के,
लिप्सा. लोलुपता के,
दूसरों को खुद से छोटा समझने की चाह के,
आम से खास बनने के |

पर बन नहीं पाता कुछ भी,
फंस जाता है जालों की भूलभुलैया में,
छटपटाता है,
नहीं निकल पाता बाहर,
हो पाता है स्वतंत्र तभी,
जब एक दिन यह मन पंछी,
उड़ जाता है उन्मुक्त गगन में,
निकल कर शरीर के पिंजरे से बाहर |

2 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

मनुष्य अपनी ओर जाल बुन लेता है वाकई..

Neweventday.com said...

Nice post as usual. Download Halloween Clip Art images for free