दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Sunday, 24 January 2010

फिर आ गई छब्बीस जनवरी

फिर आ गई छब्बीस जनवरी,
फिर निकलेगी राज मार्ग पर,
जो परेड हर साल निकलती,
थके ऊंघते नेता दर्शक,
मजबूरी में आना पड़ता,
राष्ट्रीय कर्तव्य हमारा,
हर साल दिखावा करना पड़ता,
थकी थकी राष्ट्रपति महोदया,
हाथ उठाओ, हाथ गिराओ,
प्रथम नागरिक के जीवन में,
सबसे कठिन यही एक दिन है.

मेरी कालोनी के अन्दर,
झंडा फहराया जाएगा,
पिछले वर्षों की भांति ही,
गिने चुने दो चार लोग ही,
झंडा फहराने आयेंगे,
राष्ट्रीय कर्तव्य हमारा,
छोड़ो यार मनाओ छुट्टी,
मेरे न जाने से भैया,
कोई फर्क नहीं पड़ने वाला,
झंडा फहराते शर्माजी,
गान गाते हैं वर्माजी,
छोड़ो यार मनाओ छुट्टी.

1 comment:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

जो औपचारिकतायें हर साल पूरी की जाती हैं वे इस साल भी की जायेंगी.