दीवाली आई, दीवाली गई,
कुछ बदला क्या?
नहीं, कुछ नहीं बदला,
फिर कर दी बेकार,
एक और दीवाली.
खूब पटाखे बजाये,
खूब शोर मचाया,
पर जगे नहीं, सोते रहे,
प्रगाढ़ निद्रा में,
झूट, चोरी, बेईमानी,
नफरत, हिंसा, अन्याय की.
खूब दिए जलाए,
मोमबत्तियां जलाईं,
विजली की रंग-बिरंगी,
झालरें जलाईं,
पर मिटा नहीं अँधेरा,
मन, कर्म, वचन का.