दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Sunday 16 August, 2009

राष्ट्रपति ने चाय पिलाई

राष्ट्र ने मनाया स्वतंत्रता दिवस,
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री,
राज्यपाल और मुख्यमंत्री,
सबने औपचारिकता निभाई,
आम आदमी को भाषण सुना कर,
आम आदमी ने भी निभाई,
यह सारे भाषण सुन कर.

भाषण सुनने का और सुनाने का,
सुन सुना कर तुरत भूल जाने का,
अनवरत चल रहा है,
सिलसिला इस राष्ट्रीय बीमारी का,
अजीब सी बीमारी है,
क्या भाषण दिया भूल जाते हैं,
पर भाषण देना नहीं भूलते.

शाम को राष्ट्रपति ने चाय पिलाई,
देश के गणमान्य लोगों को,
हर बार की तरह इस बार भी,
हमें नहीं बुलाया,
इंतज़ार करते करते हो गए हम,
आम आदमी से वारिष्ट आम आदमी,
पर गणमान्य नहीं बन पाए,
कल्लू मवाली गया था चाय पीने,
पिछला लोक सभा चुनाव जीत कर,
बन गया था वह गणमान्य.

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया रचना है....एक सच्चाई की ओर इशारा करती....बधाई स्वीकारें।

भाषण सुनने का और सुनाने का,
सुन सुना कर तुरत भूल जाने का,
अनवरत चल रहा है,
सिलसिला इस राष्ट्रीय बीमारी का,
अजीब सी बीमारी है,
क्या भाषण दिया भूल जाते हैं,
पर भाषण देना नहीं भूलते.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

यही तो रोना है.