दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Wednesday, 4 March 2009

इस मन की यही कहानी है (३)

मन का अधिकार कर्म पर है,
फल पर अधिकार नहीं मन का,
गुरु-सखा कृष्ण का अर्जुन को,
उपदेश  बना  मंतर  मन  का.

जीवन से पूर्व,  मृत्यु  के  बाद,
क्या होता  नही  जानता मन,
इस  जीवन  में  खोया  पाया,
उस को ही सत्य मानता मन.

ईश्वर  के  घर  में   देर  सही,
अंधेर  नहीं  कहता  है  मन,
इन कहावतों को सत्य मान,
जीवन भर  पीड़ा सहता मन,

कर्तव्यनिष्ट  हो  कर्म   करुँ,
यह मेरे  मन  ने  ठानी  है,
सारा  जीवन  संघर्ष किया,
इस मन की यही कहानी है. 


2 comments:

seema gupta said...

ईश्वर के घर में देर सही,
अंधेर नहीं कहता है मन,
इन कहावतों को सत्य मान,
जीवन भर पीड़ा सहता मन,

" यही भ्रम तो जीने की ताकत बनाये रखता है और हर दुःख सहने की शक्ति देता है.....बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.."

Regards

शारदा अरोरा said...

बहुत सुन्दर तरीके से लयबद्ध किया है