मन का अधिकार कर्म पर है,
फल पर अधिकार नहीं मन का,
गुरु-सखा कृष्ण का अर्जुन को,
उपदेश बना मंतर मन का.
जीवन से पूर्व, मृत्यु के बाद,
क्या होता नही जानता मन,
इस जीवन में खोया पाया,
उस को ही सत्य मानता मन.
ईश्वर के घर में देर सही,
अंधेर नहीं कहता है मन,
इन कहावतों को सत्य मान,
जीवन भर पीड़ा सहता मन,
कर्तव्यनिष्ट हो कर्म करुँ,
यह मेरे मन ने ठानी है,
सारा जीवन संघर्ष किया,
इस मन की यही कहानी है.
2 comments:
ईश्वर के घर में देर सही,
अंधेर नहीं कहता है मन,
इन कहावतों को सत्य मान,
जीवन भर पीड़ा सहता मन,
" यही भ्रम तो जीने की ताकत बनाये रखता है और हर दुःख सहने की शक्ति देता है.....बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.."
Regards
बहुत सुन्दर तरीके से लयबद्ध किया है
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