मन रहा भागता जीवन भर,
उसके पीछे जो मिला नहीं,
जो मिला, नहीं भाया मन को,
चलता जाता सिलसिला यही.
मन के अन्दर मन हैं अनेक,
है अलग चाहना हर मन की,
मेरी ही इच्छा पूरी हो,
है यही कामना हर मन की.
एक मन कहता है 'शांत रहो',
एक मन कहता 'संघर्ष करो',
एक मन कहता 'छोडो सब कुछ',
एक मन कहता है 'कर्म करो'.
एक मन जीता, हारा विवेक,
हो गई ध्वस्त लक्ष्मण रेखा,
वह चला प्रेम का दावानल,
संयम टूटा, तन का, मन का.
एक मन हारा, जीता विवेक,
निर्बाध रही लक्ष्मण रेखा,
हुआ शांत प्रेम का दावानल,
संयम का शीतल जल वरसा.
एक मन कठोर पत्थर जैसा,
एक मन आंसू बन कर बहता,
एक मन छीना-झपटी करता,
एक मन सपने बुनता रहता.
एक मन हँसता, एक मन रोता,
एक मन सच्चा, एक मन झूठा,
एक मन भोगों का दास बना,
एक मन सन्यासी हो बैठा.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Monday, 2 March 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
बहुत ही बेहतरीन रचना .....
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
Post a Comment