वर्ष २००८,
आस्ट्रेलिया में मास्टर ब्लास्टर,
बजी घंटी फोन की,
बोले मुम्बई इंडियंस के मालिक,
किन्हें रखना चाहेंगे अपनी टीम में?
सचिन ने अभी सोचा नहीं था इस पर,
पर तुरत एक नाम आया दिमाग में,
सनत जयसूर्या,
तुरत खरीद लो उसे ,
और खरीद लिया मुकेश ने,
भद्रपुरुषों का खेल,
अब भद्रपुरुषों का नहीं रहा,
भद्र तो क्या पुरुषों का भी नहीं रहा,
जो बिके वह कैसा पुरुष?
2 comments:
bahut dinon baad kaavya kunj par aap aaye, achchha laga. bilkul theek likha hai, ab aisi kaun si cheej hai jo bikaoo nahi hai.
बहुत बढिया ..
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