मन एक अकेला अभिमन्यु,
कैसे सब से लड़ पायेगा?
ज्यादा से ज्यादा यह होगा,
इतिहास पुनः दोहराएगा.
चाहों का रच कर चक्रव्यूह,
मन की सेनाओं ने घेरा,
इस पर मुझको अधिकार मिले,
यह मैं लूँगा, यह है मेरा.
कितना है कठिन युद्ध करना,
जब साथ नहीं हो कृष्ण कोई,
बिन गुरु, सखा और रणनीति,
सुलझेगा कैसे प्रश्न कोई?
पौराणिक गाथाएँ कहतीं,
सच की होती हर बार जीत,
पर मेरे मन के कुरुछेत्र में,
है झूट गया कई बार जीत.
मेरे मन का यह कुरुछेत्र,
नहीं दिवस अठारह तक सीमित,
कितने दिन लड़ते बीत गए,
पर अंत नहीं हो रहा विदित.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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4 comments:
कितना है कठिन युद्ध करना,
जब साथ नहीं हो कृष्ण कोई,
बिन गुरु, सखा और रणनीति,
सुलझेगा कैसे प्रश्न कोई?
एक अंतहीन गहराई समेटे शब्द....
regards
कितना है कठिन युद्ध करना,
जब साथ नहीं हो कृष्ण कोई,
बिन गुरु, सखा और रणनीति,
सुलझेगा कैसे प्रश्न कोई?
-बहुत गहरे भाव, सर जी॒॒॒ !! आनन्द आ गया.
Guptaji,
बहुत खूब ! मैं समझ गया आपके दिल की बात !!!
जीते जाना जिंदगी है,
मौत भी कैसी दिल्लगी है
इस से भी बेदर्द मौत का सच्चा
सार पाना चाहती है जिंदगी !
पर्वत खडा है निगाह रोके
नदिया पड़ी है राह रोके,
साथ पाके साथी का,
उस पार जाना चाहती है जिंदगी !!
bahut badhiya-satya phir saamne rakh diya.
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