बचपन में पढ़ा था,
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाक़ी निशाँ होगा,
पूछा मैंने कई लोगों से,
कहाँ लगा है मेला?
पता नहीं, सब ने कहा.
टीवी देखा,
जोधपुर में लगा था मेला,
अदालत के बाहर,
सलमान, सैफ, तब्बू, नीलम,
पागल थे लोग इन्हें देखने को.
चेनल बदली,
कोटला में लगा था मेला,
आस्ट्रेलिया आउट,
भारत क्रीज पर.
फिर चेनल बदली,
एमपी बोले,
संजय को छमादान दो,
निर्दोष है बेचारा.
फेसबुक खोला,
राजघाट पर अनशन,
कीचड़ की राजनीति,
सत्ता की लालसा.
क्या गलत पढ़ा था?
शहीदों के बारे में,
नहीं सही पढ़ा था,
शत-शत नमन उन्हें,
न लगे मेला कहीं,
वह जिन्दा हैं हमारे दिल में.
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाक़ी निशाँ होगा,
पूछा मैंने कई लोगों से,
कहाँ लगा है मेला?
पता नहीं, सब ने कहा.
टीवी देखा,
जोधपुर में लगा था मेला,
अदालत के बाहर,
सलमान, सैफ, तब्बू, नीलम,
पागल थे लोग इन्हें देखने को.
चेनल बदली,
कोटला में लगा था मेला,
आस्ट्रेलिया आउट,
भारत क्रीज पर.
फिर चेनल बदली,
एमपी बोले,
संजय को छमादान दो,
निर्दोष है बेचारा.
फेसबुक खोला,
राजघाट पर अनशन,
कीचड़ की राजनीति,
सत्ता की लालसा.
क्या गलत पढ़ा था?
शहीदों के बारे में,
नहीं सही पढ़ा था,
शत-शत नमन उन्हें,
न लगे मेला कहीं,
वह जिन्दा हैं हमारे दिल में.