tag:blogger.com,1999:blog-1619582548109586404.post824190637311947703..comments2023-06-18T17:08:37.166+05:30Comments on काव्य-कुञ्ज: सोनिया जी, क्यों जाते हैं आप लोग वहाँ?Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/10037139497461799634noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1619582548109586404.post-55626878091214729722008-05-16T19:26:00.000+05:302008-05-16T19:26:00.000+05:30ये नेता, चाहे किसी भी दल के हों, आम आदमी की ज़िन्दग...ये नेता, चाहे किसी भी दल के हों, आम आदमी की ज़िन्दगी दूभर ही करते हैं. मन्नू भण्डारी का उपन्यास 'महाभोज' जिन्होंने पढा है, उन्हें इनके व्यवहार से कोई अचरज नहीं होगा. जैसे ही कुछ अघटनीय घटित होता है, ये लोग अपनी रोटियां सेकने पहुंच जाते हैं. जयपुर में भी ऐसा ही हो रहा है. अस्पताल में मंत्री गण भी अपनी दुकानें सजाए बैठे हैं, भले ही इससे मरीज़ों को असुविधा होती हो तो हो. मैंने कहा न, इस मामले में सारे दलों के नेताओं का चरित्र एक-सा है.डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04367258649357240171noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1619582548109586404.post-70575050982916740542008-05-16T15:31:00.000+05:302008-05-16T15:31:00.000+05:30AAP NE BILKOOL SAHI FARMAYA HAI. BHAI AAJ SECULARI...AAP NE BILKOOL SAHI FARMAYA HAI. BHAI AAJ SECULARISM KE NAAM PE DESH ME KAAFII NANARTH HO RAHAA HAI. BADHAAI AAPOKO.Jitendra Davehttps://www.blogger.com/profile/04316093164602468349noreply@blogger.com